यह भी पढ़ें- मुजफ्फरनगर दंगा: संगीत सोम, सुरेश राणा और साध्वी प्राची समेत बीजेपी नेताओं पर दर्ज केस वापस लेगी योगी सरकार कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ व शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच 1968 में किया गया समझौता अवैध है। शाही मस्जिद की जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपी जाए। सिविल जज सीनियर डिवीजन नेहा भनौदिया की कोर्ट में बुधवार कोदायर किए गए वाद में कहा गया है कि 1968 में हुआ समझौता अवैध है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की है। इसलिए सेवा संघ यानी श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को समझौते का अधिकार नहीं है।
शाही मस्जिद को हटाते हुए भूमि ट्रस्ट को सौंपी जाए। इस मामले में शाही मस्जिद ईदगाह की इंतजामिया कमेटी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया है। कोर्ट ने वादी पक्ष को सुनते हुए 22 जनवरी को सुनवाई की अगली तारीख नियत की है।
इन्होंने दायर किया तीसरा केस मथुरा कोर्ट में तीसरा केस ठाकुर केशवदेव महाराज विराजमान मंदिर कटरा केशवदेव, यूनाइटेड हिंदू फ्रंट अध्यक्ष जयभगवान गोयल निवासी शहादरा दिल्ली, धर्म रक्षा संघ अध्यक्ष सौरभ गौड़, अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह और अधिवक्ता राजेंद्र माहेश्वरी ने दायर किया है। बताया जा रहा है कि अगली सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि केस चलने लायक है या नहीं। अगर केस चलने लायक पाया गया तो सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी होंगे।
सीनियर सिविल जज की कोर्ट में केस संख्या 950/2020 के तहत यह दावा दर्ज किया गया है। इसमें कहा गया कि मूलवाद संख्या 43 सन 1967 श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही ईदगाह मस्जिद समझौते के आधार पर 12 अक्टूबर 1968 से शून्य थी। इस आधार पर इंतजामिया कमेटी शाही ईदगाह के सचिव व यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष लखनऊ का 13.37 एकड़ जमीन पर कोई हम नहीं है, यह कटरा केशवदेव की है।
पहले दर्ज हो चुके हैं ये दो मामले बता दें कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर इससे पहले भी दो केस दर्ज हैं। भगवान श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह के केस में हिंदू आर्मी की तरफ से सिविल जज की अदालत में चार जनवरी को सुनवाई होगी। हिंदू आर्मी का चीफ बताने वाले मनीष यादव ने खुद को श्रीकृष्ण का वंशज बताकर अदालत में दावा पेश किया था। वहीं, इससे पहले लखनऊ की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री आदि आधा दर्जन लोगों ने भगवान की तरफ से याचिका दाखिल की थी। जिसमें उन्होंने शाही ईदगाह मैनेजमेंट कमेटी के सचिव, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव और श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के प्रबंधक न्यासी को प्रतिवादी बनाया था।