पहले दिन ’नहाय खाय,’ दूसरे दिन “खरना ’और तीसरे दिन मुख्य पर्व के बाद चौथे दिन इस व्रत का समापन होता है।
लोक आस्था के इस महापर्व में स्थानीय लोग एक दूसरे के सहयोग से पूजा की तैयारी करते हैं,सांझी संस्कृति का इससे बड़ा उदाहरण शायद ही कोई हो।
आज मऊ में 6 बज कर 9 मिनट पर सूर्योदय होना था परंतु बादल के कारण सूर्य ने व्रतियों से काफी आंख मिचौली खेली और लगभग पौने सात बजे दर्शन दिए।