scriptअपने किए की सजा भुगतने के लिए हाशिमपुरा नरसंहार के 16 आरोपियों में से चार पीएसी जवान ही पहुंचे कोर्ट | 4 convicted Pac Constables of Hashimpura surrender in in the court | Patrika News
मेरठ

अपने किए की सजा भुगतने के लिए हाशिमपुरा नरसंहार के 16 आरोपियों में से चार पीएसी जवान ही पहुंचे कोर्ट

हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए 16 में से 4 पीएसी के जवान गुरुवार को तीस हजारी कोर्ट में आत्मसमर्पण के लिए पहुंचे। गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए 16 पीएसी जवानों को 22 नवंबर तक सरेंडर के लिए कहा था।

मेरठNov 22, 2018 / 06:09 pm

Iftekhar

Hashimpura kand

अपने किए की सजा भुगतने के लिए हाशिमपुरा नरसंहार के 16 आरोपियों में से चार पीएसी जवान ही पहुंचे कोर्ट

मेरठ. देश और प्रदेश की राजनीतिक धुरी में बदलाव लाने वाले मेरठ के हाशिमपुरा कांड में 31 साल बाद दिल्ली की हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में सभी 16 आरोपियों को आजीवन कारवास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने आरोपियों को 22 नवंबर 2018 तक अपील करने का समय दिया था। जिसकी आज अंतिम तारीख थी। लेकिन 16 आरोपियों में से मात्र चार ने ही गुरुवार को दिल्ली की तीसहजारी कोर्ट में पेश होकर समर्पण किया। कोर्ट ने शाम छः बजे तक बाकी दोषी पीएसी के जवानों का इंतजार किया, लेकिन जब वह नहीं पहुंचे तो उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी कर दिया।

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बताते चले कि मेरठ के हाशिमपुरा नरसंहार पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बीती 31 अक्तूबर को बड़ा फैसला सुनाया था। इसमें पीएसी के सभी 16 जवानों को आरोपी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। ज्ञात हो कि 31 वर्ष पहले यानी 1987 के इस मामले में आरोपी पीएसी के 16 जवानों को दूसरे समुदाय के 42 लोगों की हत्या और अन्य अपराधों के आरोपों से बरी करने के तीन साल पुराने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और नरसंहार में बचे जुल्फिकार नासिर सहित कुछ निजी पक्षों की अपीलों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने छह सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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मामले में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री पी. चिदंबरम की कथित भूमिका का पता लगाने के लिए आगे जांच की मांग को लेकर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर भी फैसला अभी सुरक्षित रखा हुआ है। 28 साल चले मुकदमे में 21 मार्च 2015 को तीस हजारी कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए आरोपी 16 जवानों को बरी कर दिया था। लेकिन इसके बाद इसकी अपील हाईकोर्ट में की गई थी और उसकी सुनवाई अन्य किसी दूसरे राज्य में करने की मांग पीड़ित पक्ष के वकीलों द्वारा रखी गई थी। जिस पर इसकी सुनवाई दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में हुई थी। आज जिस समय पीएसी के आरोपी चार जवानों ने कोर्ट में सरेंडर किया, उस दौरान भारी संख्या में सुरक्षा व्यवस्था थी। कोर्ट के भीतर पेश होने के बाद सभी चार जवानों को मीडिया से बचाते हुए ले जाया गया।

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