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कोरोना के लॉकडाउन में ईद पर टूट गया इस शाही ईदगाह का 800 साल पुराना रिकार्ड

Highlights मेरठ ईदगाह में पहली बार नहीं पढ़ी गई ईद की नमाज ईद पर 60 हजार लोग ईदगाह पर पढ़ते आए हैं नमाज कुतुबु्द्दीन ऐबक ने करवाया था इस ईदगाह का निर्माण  

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मेरठ। मेरठ की 800 साल पुरानी शाही ईदगाह (Eidgah) में ईद (Eid) के मौके पर ऐसा रिकार्ड टूटा है, जिसे कोई याद नहीं रखना चाहेगा। दरअसल, ईदगाह में पिछले 800 साल से ईद के मौके पर हजारों की संख्या में लोग नमाज पढऩे के लिए एकत्र होते आए हैं। सुबह पांच बजे से ही ईदगाह और उसके आसपास करीब दो किलोमीटर तक सफे बिछ जाया करती थी, लेकिन इस बार ईदगाह पर कोरोना (Corona Virus) संक्रमण के लॉकडाउन के दौरान ऐसा नहीं हुआ। इस बार मेरठ के शाही ईदगाह में नमाज (Namaz) नहीं अदा कर लोगों ने अपने घरों में ही ईद की नमाज अदा की।

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मेरठ की शाही ईदगाह अपने आप में कई खूबियां समेटे हुए है। इतिहासकार डा. अमित पाठक कहते हैं कि पूरे उत्तरी भारत में ऐसी शाही ईदगाह नहीं है। जिसमें ईंटों पर आयतें लिखी हों, वह भी अरबी भाषा में। बता दें कि 800 साल पुरानी इस शाही ईदगाह का निर्माण 1210 ईसवीं के बीच उस समय दिल्ली की सल्तनत पर काबिज कुतुबुद्दीन ऐबक के कराया था। उस समय कुतुबद्दीन कई बार यहां पर ईद की नमाज पढऩे के लिए आया करता था।

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जानकारों के अनुसार बादशाह घोड़े पर दिल्ली से नमाज पढऩे आता था। उसके साथ पूरा लाव-लश्कर होता था। नमाज पढऩे के बाद यहां पर बड़ी-बड़ी ढेंग चढ़ाई जाती थी और उसमेें गरीबों के लिए भोजन बनाया जाता था। जो आसपास के क्षेत्रों में बांटा जाता था। ईदगाह के भीतर एक साथ 131 सफे बिछ सकती हैं। इसमें करीब 60 हजार अकीदतमंद नमाज अदा कर सकते हैं।

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ईदगाह के आसपास का पूरा इलाका सूना पड़ा रहा। ईदगाह के आसपास पुलिस बल तैनात रहा। कारी शफीकुर्रहमान ने कहा कि वे 60 साल से ईदगाह में ईद की नमाज पढ़ते आ रहे हैं। इन 60 साल में पहली मर्तबा ऐसा हुआ जबकि ईदगाह में ईद की नमाज अदा नहीं हुई। उन्होंने कहा पिछले 800 साल में यहां पर बराबर ईद की नमाज अदा होती रही है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं सका। उन्होंने कहा कि यह समय भी कट जाएगा। लोग अगली बार ईद की नमाज ईदगाह में अदा करेंगे।