
कैराना-नूरपुर उपचुनाव में मिली हार के बाद भाजपा ने बदली अपनी रणनीति
मेरठ. कैराना और नूरपुर उपचुनाव में मिली हार से सन्न भाजपा ने अब अपना डैमेज कंट्रोल कार्यक्रम शुरू कर दिया है। पार्टी पदाधिकारियों की माने तो गोरखपुर और फूलपुर में अतिआत्मविश्वास और नूरपुर-कैराना में वोटों के समीकरण बिगड़ने से भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। पार्टी को मिली इस हार को 2019 के पूर्व की चेतावनी के तौर पर देखते हुए भाजपा और संघ के पदाधिकारी अब डैमेटकंट्रोल में जुट गए हैं। भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल के अनुसार हार जीत तो होती रहती है। लेकिन इन हार से हमें सबक मिला है और इसको स्वीकार कर हम 2019 की फाइनल तैयारी में जुट गए हैं। इसके लिए पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर मजबूत करने का गणित बैठाया जा रहा है।
भाजपा विपक्षी महागठबंधन की काट भी तलाश कर रही है। इससे निपटने के लिए रणनीतिकार प्रत्येक विधानसभावार वोटों का समीकरण बैठाने में जुट गए हैं। भाजपा को पश्चिम उप्र में 2014 और 2017 में मिली जबरदस्त कामयाबी के बाद उपचुनाव में ऐसी दुर्गत होगी, यह पार्टी पदाधिकारियों ने सोचा भी न था। 2014 का लोकसभा चुनाव हो या फिर 2017 विधानसभा चुनाव। पार्टी ने दोनों चुनाव के प्रचार की शुरूआत इसी क्षेत्र से किया था। इसका परिणाम भी उत्साहवर्धक रहा और भाजपा ने इस पूरे क्षेत्र में सभी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया। लेकिन भाजपा के जीते हुए सांसद और विधायक उसके बाद यहां के जनता के बीच अपनी और पार्टी की पहचान कायम नहीं रख पाए। लिहाजा, अब भाजपा ने अपने सभी सांसदों और विधायकों को चेतावनी दी है कि अब अगर जरा भी चूके जो हालात कैराना जैसे होंगे।
पार्टी ने कार्यकर्ताओं को अभी से बूथ संपर्क अभियान के लिए तैयार कर दिया हैै। इसके तहत कार्यकर्ता घर -घर जाकर भाजपा की नीतियों और उसके प्रचार प्रसार के बाद भाजपा के पक्ष में वोट मांगेंगे। बडे़ नेताओं को भी संदेश दिया है कि वे एसी से बाहर निकलकर लोगों के बीच जाएं और मेहनत करें। दिल्ली में हुई पार्टी स्तर की कार्यशालाओं में संदेश दिया गया कि मतदान के दिन मतदाताओं को बूथ तक लाने में कैराना जैसी चूक नहीं होनी चाहिए।
Published on:
13 Jun 2018 01:13 pm
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