
बदर अख्तर के प्रेमजाल में फंसी आशा 7 साल से लापता। फोटो सोर्स-X
Conversion Case In UP: धर्मांतरण के मास्टरमाइंड छांगुर बाबा के सबसे करीबी गुर्गे बदर अख्तर सिद्दीकी पर कई गंभीर आरोप हैं। बदर अख्तर सिद्दीकी पर एक युवती को लापता करने का आरोप, मेरठ की प्रिया त्यागी मामले से पूर्व भी लग चुका है। वहीं बदर अख्तर के प्रेमजाल में फंसी लापता आशा नेगी के परिजन न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
दरअसल, उत्तराखंड निवासी आशा नेगी मेरठ में नौकरी करती थीं। साल 2018 से ही वह लापता हैं। आशा के परिजन 7 साल से न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं लेकिन आज तक कोई मुकदमा तक दर्ज नहीं किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किसके दबाव में पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की?
मामले को लेकर पांडवनगर (मेरठ) में रहने वाले अनिल नेगी का कहना है कि उनकी बहन आशा नेगी मेरठ की एक कंपनी में HR पद पर काम कर रहीं थी। नोएडा के सेक्टर-62 में 2016-17 में नौकरी के चलते वह शिफ्ट हो गईं। आशा को मेरठ में रहते समय ही बदर अख्तर सिद्दीकी ने प्रेमजाल में फंसा लिया था।
आशा के परिजनों के मुताबिक आशा की आखिरी बार छोटे भाई सुनील से बात अप्रैल 2018 में हुई थी। आशा के नंबर से इसके बाद WhatsApp मैसेज आते रहे, लेकिन उससे फोन पर बात नहीं हुई। आशा के परिजनों को संदेह है कि बदर खुद आशा के मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा था जिससे आशा के परिवार को भ्रम में रखा जा सके।
अनिल नेगी का कहना है कि बदर के पासपोर्ट, आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो कॉपी एहतियात के तौर पर पहले ही आशा ने उन्हें WhatsApp पर सेंड कर दिए थे। उनके मुताबिक, आशा ने एक बार मारपीट के बाद खुद की चोटिल हालत की फोटो WhatsApp के जरिए सेंड की थी। अनिल नेगी ने मामले की शिकायत 2019 में सिविल लाइन थाने में करने के प्रयास किए लेकिन पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की।
आशा नेगी के भाई अनिल का आरोप है कि बदर अख्तर के किसी करीबी की न्याय विभाग में उच्च पद पर तैनाती होने की वजह से केस को दबा दिया गया। उन्होंने कहा कि नोएडा और मेरठ पुलिस एक-दूसरे के क्षेत्राधिकार का हवाला देकर मामले में कार्रवाई करते बचती दिखी। 7 साल से आशा का कुछ भी पता नहीं चल सका है। आज भी आशा के परिजन पुलिस थानों और प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
मामले को लेकर अखिल भारतीय हिंदू सुरक्षा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन सिरोही ने धर्मांतरण के पीछे विदेशी फंडिंग के साथ बड़े बड़े उच्च अधिकारियों के भी शामिल होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि उस समय बदर की ब्रादरी का सिद्दकी थाना सिविल लाइन में इंस्पेक्टर था।केस की गंभीरता से जांच की बात भी उन्होंने कही।
Updated on:
21 Jul 2025 04:32 pm
Published on:
21 Jul 2025 04:28 pm
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