31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इस जॉबाज मुस्लिम से कॉपती थी अंग्रेजों की रूह, चेतावनी देकर करते थे हमला

18 वीं सदी देश में अंग्रेजों के शासन का दौर था। अंग्रेजी हकूमत को देश से बाहर करने के लिए चारों ओर बगावत हो रही थी। इसी दौर में एक मुस्लिम क्रांतिकारी हुए जिनका नाम था टीटू मीर। टीटू मीर से अंग्रेजों की रूह कांपती थी।

2 min read
Google source verification

मेरठ

image

Kamta Tripathi

Nov 21, 2022

इस जॉबाज मुस्लिम से कॉपती थी अंग्रेजों की रूह, चेतावनी देकर करते थे हमला

इस जॉबाज मुस्लिम से कॉपती थी अंग्रेजों की रूह, चेतावनी देकर करते थे हमला

आज टीटू मीर यानी सैयद मीर निसार अली का शहीदी दिवस हापुड रोड स्थित मदरसा में मनाया गया। जिसमें वक्ताओं ने टीटू मीर के बारे में अपने विचार रखे। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने शहीद सैयद मीर निसार के चित्र पर पुष्प अर्पित किए।


राष्ट्रवाद,कृषि और राजनीतिक चेतना की धारा बनाई
कार्यक्रम में अशरफ अली ने टीटू मीर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सैयद मीर निसार अली बंगाल के एक किसान नेता थे। जिन्होंने राष्ट्रवाद और कृषि और राजनीतिक चेतना की धारा बनाई। वह अंग्रेजों से लड़ने के लिए विशाल बांस के किले को खड़ा करने के लिए प्रसिद्ध थे। जो एक बंगाली लोक कथा बन गया। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में अपनी उत्पत्ति के बावजूद, वह बांग्लादेश में एक प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में आज भी माने जाते हैं।


यह भी पढ़ें : समोसा खाने वाले को मिलेगा 71 हजार रुपये का ईनाम, खासियत जान हो जाएंगे हैरान


औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया
डॉ0 हैदर खान ने कहा कि सैयद मीर ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के अधिकारियों, जमींदारों और महाजनों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को देखा। सैयद मीर निसार अली ने उन लोगों की दुर्दशा देखी जो इन शोषकों के गुलाम थे। सैयद मीट ने उत्पीड़न को समाप्त करने के लिए उन्होंने स्थानीय लोगों को औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाने के लिए एक आंदोलन शुरू किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार और औपनिवेशिक सरकार के सशस्त्र बलों के खिलाफ सशस्त्र लड़ाई शुरू की,जो जमींदारों और महाजनों का समर्थन कर रहे थे।

यह भी पढ़ें : क्या आपका बेटा भी है इंटरनेट एडिक्शन का शिकार तो लीजिए साइकोलॅाग्स की मदद

अंग्रेजों को चेतावनी देकर करते थे हमला

डॉ0 गजाला ने सैयद मीर के बारे में बताया कि वह इतने बहादुर थे कि उसने ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों और पुलिस को अपने हमलों के बारे में पूर्व चेतावनी दी। उनकी बहादुरी के कारण वंचित लोग उनकी ओर आकर्षित होते थे। एक दशक से अधिक समय तक, टीटू मीर ने नारकेलबेरिया नामक स्थान पर बांस से बने किले का निर्माण किया।

जहां वह अपने शिष्यों को सशस्त्र कल्याण के लिए तैयार करते थे और अंग्रेजी शासकों को आतंकित करते थे। 19 नवंबर, 1831 को, ब्रिटिश सैनिकों ने नारकेलबेरिया में टीटू मीर के किले पर धावा बोल दिया, जहां 1832 में हमले के कारण कई चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई।