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बिजली केबिल की शिफ्टिग के लिए 13 लाख की रिश्वत मांग रहा था सुपरिटेंडेंट इंजीनियर, रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

ऊर्जा मंत्री के प्रभारी जिले में ही विभाग के भ्रष्टाचारियों को विजिलेंस की टीम रंगे हाथों पकड़ रही है। अब एक अधीक्षण अभियंता को ठेकेदार से दो लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोचा है। अधीक्षण अभियंता रैपिड रेल निर्माण में बाधा बन रही बिजली लाइन शिफ्ट करने की एवज में ठेकेदार से 13 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहा था।

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मेरठ

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Nitish Pandey

Oct 29, 2021

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मेरठ. विजिलेंस की टीम ने बिजली विभाग के एक रिश्वतखोर इंजीनियर को दो लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथो दबोचा। रिश्वतखोर विद्युत निगम के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। विजिलेंस की टीम के हत्थे चढ़े पीवीवीएनएल के रिश्वतखोर अधीक्षण अभियंता देवेंद्र पचोरिया को एमडी अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने निलंबित कर दिया और विभागीय जांच के दिए आदेश।

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ये है पूरा मामला

दिल्ली-मेरठ के बीच रैपिड रेल का निर्माण कार्य चल रहा है। इस निर्माण के बीच में बिजली की अंडरग्राउड लाइन बाधा बन रही है। जिसकी शिफ्टिंग करने वाली कंपनी से आरोपी इंजीनियर ने 20 लाख रुपये रिश्वत की मांग की थी। सौदा 12 लाख में हुआ और कंपनी के एमडी दो लाख रुपये लेकर पहुंचे तो एसई विजिलेंस के जाल में फंस गए। विजिलेंस का कहना है कि पूर्व में एसई एक लाख रुपये ले भी चुका था।

दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल के लिए बिजली की लाइनें शिफ्ट कर अंडरग्राउंड की जा रही हैं। मुरादनगर से मोदीपुरम के बीच 19 करोड़ में काम का जिम्मा चंडीगढ़ की कंपनी अरविंदा इलेक्ट्रीकल्स के पास है। इस कंपनी के एमडी कुलवीर साहनी ने बताया कि अधीक्षण अभियंता देवेंद्र पचौरिया ने काम में पहले से ही अड़चनें लगानी शुरू कर दीं। अधीक्षण अभियंता ने पहले उनके इंजीनियर्स को बुलाकर परेशान करना शुरू किया। हर मुलाकात पर वह अधीनस्थों से उनका नंबर मांगते। इसी बीच एसई ने उनका नंबर जुटा लिया और आकर मिलने का दबाव बनाया।

कुलवीर साहनी ने बताया कि पहले ही मुलाकात में उनसे 12 लाख रुपये की मांग इंजीनियर ने की। इंजीनियर ने स्पष्ट कहा कि इसके बिना हैंडओवर के कागज पूरे नहीं हो सकेंगे। तय हुआ कि वह पहली किश्त दो लाख रुपये देंगे। अंडरग्राउंड लाइन शिफ्टिंग के कारण कॉरिडोर का काम भी प्रभावित हुआ है। कुछ लाइन पर शटडाउन के लिए आग्रह किया गया था। जिसे नजर अंदाज कर दिया गया।

रैपिड रेल प्रोजेक्ट में केंद्र व राज्य सरकार का सहयोग है। इसलिए दोनों स्तर से इसकी लगातार निगरानी चल रही है। इस दिक्कत का सामना करने के बाद उन्होंने एनसीआरटीसी के समक्ष काफी लिखित शिकायत की, लेकिन फिर भी कोई समाधान नहीं निकला। करीब एक सप्ताह पूर्व उन्होंने विजीलेंस के समक्ष शिकायत रखी। विजिलेंस ने जांच कर कार्रवाई का खाका तैयार किया और एसई को रंगेहाथ पकड़ा।

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