
मेरठ। भूमि अधिग्रहण मामले में एकसमान मुआवजा नहीं दिए जाने से नाराज किसानों ने मेरठ कमिश्नरी पार्क पर धरना दे रखा है। शनिवार की शाम से चल रहे इस धरने के दौरान किसान अलग-अलग तरह से अपना विरोध जता रहे हैं। कमिश्नर से वार्ता होने पर कुछ मांगों पर सहमति बनी है, लेकिन मुख्य मुआवजे के मुद्दे पर निर्णय को लेकर किसान अभी भी धरने पर हैं। किसानों की मांग का समर्थन राजनीतिक दल भी कर रहे हैं और धरने में शामिल हैं।
शनिवार से चल रहे किसानों के धरने के दौरान एक समान मुआवजे की मांग करते हुए किसानों ने अर्ध नग्न होकर नारेबाजी की। इस दौरान किसान चौधरी चरण सिंह पार्क के चारों ओर पैदल चलकर चौराहे पर पहुंचे और प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान सपा नेता अतुल प्रधान ने कहा कि प्रशासन किसानों के हक के साथ खिलवाड़ न करें। इसके अंजाम बदतर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कई वर्षों से लोगों के मुआवजे, आबादी के प्लॉट व दूसरे मुद्दे अटके हुए हैं। कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन उनका निस्तारण नहीं कर रही है। ऊपर से लोगों के घर भी तोडऩे शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर प्रशासन किसानों के मुद्दों का निस्तारण नहीं कर सकती तो उसे किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। पहले प्रशासन ये बताए किस कानून के तहत आबादी की जमीन पर कार्रवाई की जा रही है। किसानों को एक समान मुआवजा क्यों नहीं दिया जा रहा है।
किसानों के इस धरना प्रदर्शन में अब तक कई दलों के नेता पहुंच चुके हैं। अतुल प्रधान ने कहा कि किसानों ने करीब 8-10 महीने पहले भी बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया था। उस दौरान उन्हें कई आश्वासन दिए गए थे। किसानों की सबसे बड़ी मांग थी कि गांवों की आबादी की जमीन पर किस आधार पर अपना नाम दर्ज कर लिया और यह किस कानून के तहत किया गया। किसानों को एक ही गांव में तीन तरह के मुआवजे दिए जा रहे है। किसी को 2200 तो किसी को 27000 हजार की दर से मुआवजा दिया जा रहा है। किसानों की मांग है कि सभी को एक समान मुआवजा दिया जाए।
Published on:
04 Nov 2019 11:32 am
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