
'भारत छाेड़ो आंदाेलन' के इस योद्धा ने बताया- 21वीं सदी के भारत के लिए गांधी जी के अनुसरण की इसलिए जरूरत है
मेरठ। महात्मा गांधी के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में दस साल की उम्र से जुड़े आैर देश को आजादी मिलने के बाद भारत में उतार-चढ़ाव को गांधी जी के विचार से जोड़ने वाले आपको कम ही लोग मिलेंगे। इन्हें मानना है कि जब तक महात्मा गांधी का अनुसरण नहीं करेंगे, तब तक सही दशा-दिशा में नहीं जा सकते। 86 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी आैर गांधीवादी नेता धर्म दिवाकर का यही मानना है। उनका कहना है कि बदलते दौर में सबकुछ बदल सकता है, लेकिन गांधी जी की विचारधारा पर चलने वाले नर्इ दिशा व लक्ष्य हासिल करते हैं। इसलिए 21वीं सदी के भारत के लिए उनकी विचारधारा का अनुसरण करना बेहद जरूरी है। गांधीवादी नेता धर्म दिवाकर ने कहा कि गांधी जी ने बहुत संघर्षों के बाद देश को आजादी दिलार्इ। युवा पीढ़ी उनके योगदान का अनुसरण करे। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के बाद जो सपने हमने देखे थे, देश उस राह से भटक गया है। गांधी जी के अनुसरण से ही पटरी पर लाया जा सकता है।
एेसे दिन थे आजादी से पहले
स्वतंत्रता सेनानी धर्म दिवाकर बताते हैं कि आजादी से पहले प्रभात फेरी में लोगों में इन पक्तियों से जोश भरा जाता था- 'उठ जा मुसाफिर भोर भयी, अब रैन कहां जो सोवत है, जो सोवत है वो खोवत है, जो जागत है वो पावत है।' उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी जी के आह्वान पर शहर-शहर आैर गांव-गांव घर-घर चरखा चलता था आैर ज्यादातर खादी आैर सूत का काम होता था। उन्होंने बताया कि जब देश को आजादी मिली थी तो उस दिन हर घर में तिरंगा लगाया गया था। 15 अगस्त 1947 को सुबह गांधी आश्रम से प्रभात फेरी निकली थी, जो पीएल शर्मा स्मारक पर सम्पन्न हुर्इ। इसके बाद पीएल शर्मा स्मारक, स्कूल-कालेजों में देशभक्ति आैर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए थे।
भारत छोड़ो आंदोलन से हुए थे प्रभावित
धर्म दिवाकर का जन्म बिजनौर में 1932 में हुआ था। वह अपने माता-पिता के साथ मेरठ में 1940 में आ गए थे। मात्र दस साल की उम्र में ही वह महात्मा गांधी के विचारों से जुड़ गए थे आैर 1942 में गांधी जी के 'भारत छोड़ाे आंदोलन' से इस कदर प्रभावित हुए कि गांधी जी की हर बात को बेहद ध्यान से सुनना आैर उसका अनुसरण करना उनकी आदत में शुमार हो गया था। भारत को जब आजादी मिली तो वह 15 साल के थे। गांधी जी के विचारों से धर्म दिवाकर एेसे जुड़े कि उम्रभर उनका अनुसरण किया। उन्होंने गांधी जी पर किताब 'इतिहास बोलता है, गांधी चुप नहीं रहेगा' लिखी, जिसे काफी प्रसिद्धि मिली। स्वतंत्रता सेनानी धर्म दिवाकर का कहना है कि आज की पीढ़ी को पाश्चात्य सभ्यता की आेर भागने की जरूरत नहीं। अपनी संस्कृति में रहते हुए भविष्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है।
Published on:
29 Sept 2018 09:09 am
बड़ी खबरें
View Allमेरठ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
