
इसलिए दी गर्इ जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज को तरुणसागरम तीर्थ में समाधि
मेरठ। मुनिश्री 108 तरुण सागर जी महाराज को मुरादनगर के तरुणसागरम तीर्थ में समाधि देने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। तरुण सागर जी महाराज को मुरादनगर में समाधि क्याें दी जा रही है। उन्हें उनके गृह जनपद या गिरिनार में समाधि क्यों नहीं दी जा रही? इसके पीछे का कारण उनके गुरू का वह आदेश है, जो उन्हें तीन दिन पहले दिया गया था। मुनिश्री अरूण सागर महाराज ने बताया कि उन्हें जैन मुनि गुरूश्री पुष्पदंत महाराज ने आदेश दिया था कि वह तरुण सागर जी महाराज के पास पहुंचे और उनकी समाधि मरण की तैयारी शुरू कर दें। गिरीनार से उनके साथ दो जैन मुनि और दिल्ली स्थित राजोपुरी आश्रम पहुंचे। मुनिश्री पुष्प दंत महाराज ने ही समाधिपरांत मुनि श्री को मुरादनगर के तरुणसागरम तीर्थ में समाधि कार्यक्रम आयोजन करने के लिए कहा था। गुरू जी के आदेश पर ही मुरादनगर के तरुणसागरम तीर्थ पर मुनिश्री 108 तरुण सागर महाराज का समाधि कार्यक्रम आयोजित किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ा।
यह है तरुणसागरम तीर्थ
बताते चलें कि दिल्ली स्टेशन से 30 किमी दूर दिल्ली-मेरठ हाइवे पर स्थित तरूणसागरम तीर्थ का निर्माण मुनिश्री 108 तरूण सागर महाराज ने करवाया था। मुनि श्री ने यह आश्रम करीब 40 बीघा जमीन में बनवाया था। इस आश्रम में दूर-दूर से जैन धर्म के लोग आते हैं। जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज आमतौर पर अपने इसी आश्रम में विश्राम करते थे। उनके इस आश्रम का वातावरण काफी शांत है। तीन दिन पहले ही उनके गुरू पुष्पदंत महाराज ने तरुण महाराज सागर से बात कर उनसे कहा था कि मैं तो आ नहीं सकता, लेकिन तरुणसागरम में तैयारी के लिए कुछ लोगों को भेज रहा हूं। तरूणसागरम तीर्थ में जैन धर्म के बड़े महाराज श्री के अलावा कई वीआईपी हस्तियां भी कार्यक्रम में शिरकत कर चुकी हैं।
इस कारण मुरादनगर में बनाया था आश्रम
जैन मुनि श्री तरूण सागर महाराज का आश्रम मुरादनगर के पास बनाने का एक बड़ा कारण दिल्ली से नजदीकी के अलावा यहां पर आने-जाने के साधन 24 घंटे मिलते रहना था। जिससे उनके भक्तों या आश्रम आने वाले जैन समाज के लोगों को आने में किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो।
Published on:
01 Sept 2018 07:15 pm
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