
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ. तीसरी लहर में कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट काफी खतरनाक साबित हो सकता है। चिकित्सीय वैज्ञानिकों ने प्रारंभिक अध्ययन के बाद यह अनुमान लगाया है कि इसकी संक्रमण दर दूसरी लहर से अधिक होगी। इस पर एंटीबॉडी या तो काम नहीं करेगी या फिर बहुत कम काम करेगी। इसलिए कोविड प्रोटोकॉल ही इस वेरिएंट में एंटीबॉडी का काम करेगा। चिकित्सकों ने सलाह दी है कि कोरोना कम भले हुआ है, बचाव व सतर्कता बहुत जरूरी है। देश के तीन राज्यों में डेल्टा प्लस ने दस्तक दे दी है। इसलिए इसके मेरठ जिले में आने में देर नहीं लगेगी।
मेडिकल कॉलेज के डाॅ. प्रशांत भटनागर ने बताया कि दूसरी लहर में तबाही मचाने के बाद कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) ने अपना स्वरूप बदल लिया है। बदले स्वरूप को डेल्टा प्लस (के 417 एन) नाम दिया गया है। उन्होंने बताया कि डेल्टा ने अपने स्पाइक प्रोटीन यानी ऊपरी सतह में बदलाव किया है, जिसके माध्यम से वह शरीर में प्रवेश करता है। यह बदलाव कर उसने अपनी क्षमता बढ़ा ली है। इसलिए वह तेजी के साथ शरीर में प्रवेश कर सकता है। इससे संक्रमण की दर बढ़ सकती है। विशेषज्ञों ने यह भी अनुमान लगाया है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट से शरीर में बनने वाली तथा बाहर बनाई गई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी काम नहीं करेगी या तो बहुत कम काम करेगी। इसलिए इसकी मारक क्षमता ज्यादा हो सकती है। वैक्सीन इस वेरिएंट के लिए कितना प्रभावी होगी, इस पर अभी अध्ययन चल रहा है।
डाॅ. भटनागर का कहना है कि हमारे शरीर के भीतर या बाहर जो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बनाई गई है, वह स्पाइक प्रोटीन के ही खिलाफ है। वायरस ने स्पाइक प्रोटीन में ही बदलाव कर लिया है। इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि एंटीबॉडी इस वायरस के खिलाफ काम नहीं करेगी। ऐसे में अभी से सतर्कता बरतने की जरूरत है।
Published on:
26 Jun 2021 11:16 am
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