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Shani Amavasya 2020: 187 साल बाद बन रहे कई शुभ योग, शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए अपनी राशि के अनुसार करें ये उपाय

Highlights कृतिका नक्षत्र के साथ शोभन व अतिगण्ड योग में शनि अमवस्या 22 मई शुक्रवार के दिन शनिदेव की विशेष पूजा से मिलेगा लाभ योग कोरोना आपदा में लाइलाज का इलाज ढूंढऩे में होंगे सहयोगी      

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मेरठ। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि देव का जन्म हुआ था। जो इस वर्ष 22 मई दिन शुक्रवार को है। पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार इस वर्ष ज्येष्ठ मास की सूर्योदनी अमावस्या तिथि 22 मई दिन शुक्रवार को प्रात: 5 बजकर 27 मिनट से प्रारम्भ होगी तथा अमावस्या तिथि रात्रि 11.09 बजे तक रहेगी। इस प्रकार कृतिका नक्षत्र, शोभन व अतिगण्ड योग, शुक्रवती अमावस्या जैसे ऐश्वर्यपूर्ण शुभ योगों में प्रात: से शनि अमवस्या जयंती मनाई जाएगी, जब चन्द्रमा अपनी उच्च वृष राशि में होंगे। ये योग करीब 187 साल बाद लग रहा है। ये योग इस कोरोना आपदा में लाइलाज का इलाज ढूंढऩे में सहयोगी हो सकेंगे। इस दिन पूजा के दौरान 'ऊं शं शनैश्चराय नम:’ मंत्र का जाप करें।

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शनि पूजन व उपाय के विशेष मुहूर्त

शनि होरा पूजन का समय 22 मई को सुबह 8.52 से 10.01 बजे तक रहेगा। वहीं शाम को 4.52 से 6.01 बजे तक। गोधूलि में पूजन का समय 6.56 से 7.20 शाम तक रहेगा। बेसहारा मनुष्यों, पशुओं के सहारा बनें, मजदूरों व निम्न वर्ग की मदद करें, भेदभाव न करें तो शनिदेव को सन्तुष्टि व प्रसन्नता प्राप्त होती है। ऐसे लोग मन के अनुकूल कार्यों में विलम्ब न होने का वरदान प्राप्त करते हैं। अत्याधिक मानसिक तनाव, अकारण झगड़ा, कामकाज में अड़चनें, घाटा व दुर्घटना, अपनों से ही अचानक वाद-विवाद, नौकरों से असंतुष्टि, विरोधियों से परेशानी, कानूनी उलझनें, अनायास खर्चे व नुकसान, नजर लगने जैसी समस्याएं सामने आती हैं तो ऐसे लोगों को शनिदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

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अपनी राशि के अनुसार करें विशेष उपाय

मेष- गंगाजल व गाय के कच्चे दूध से धोया हुआ पंचमुखी रूद्राक्ष पूजें।

वृष- मुख्य द्वार पर काले घोड़े की नाल लगाएं।

मिथुन- काले चनों का जौ और उड़द के साथ गरीबों को दान करें।

कर्क- भैंसे या घोड़े को सवा किलो की मात्रा में काला देसी चना खिलाएं, एक दिन पहले भिगोएं।

सिंह- शनि का बीज मंत्र 'ऊं शं शनैश्चराय नम:' जपें।

कन्या- पीपल के वृक्ष के चारों ओर चार दीपक जलाएं।

तुला- गाय, कुत्तों, बेसहारा जानवरों की देखभाल करें।

वृश्चिक- शनिवार को व्रत करें, सिंदूर का चोला हनुमान जी को चढ़ाएं।

धनु- किसी भी शिव मन्दिर में आठ अखरोट चढ़ाएं।

मकर- गाय को तेल चुपड़ी रोटी पर मिठाई रखकर खिलाएं। घी चुपड़ी रोटी गाय को पुन: खिलाएं।

कुम्भ- पीपल के वृक्ष पर कच्चा सूत 7 बार लपेटें और एक समय बिना नमक का भोजन करें।

मीन- गरीबों, मजदूरों व मजबूरों की भरपूर मदद करें। अपने हाथ की नाप का 19 हाथ लम्बा काला धागा लपेट कर माला बना कर पहनें।