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मैं आजादी के जश्न का गवाह,109 साल में कभी पाए दंगों के जख्म तो कभी प्यार

locationमेरठPublished: Dec 03, 2022 07:44:47 pm

Submitted by:

Kamta Tripathi

15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से मिली आजादी के जश्न का गवाह मैं रहा। उस दौरान मेरी उम्र 34 साल थी। दर्जनों बार मेरे अपनों ने सांप्रदायिक दंगों का जख्म भी दिए। आज 109 साल का होने के बाद भी मैं अपने इस शहर की पहचान हैं।

मैं आजादी के जश्न का गवाह,109 साल में कभी पाए दंगों के जख्म तो कभी प्यार

मैं आजादी के जश्न का गवाह,109 साल में कभी पाए दंगों के जख्म तो कभी प्यार

15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ तो मेरठ शहर के घंटाघर पर हजारों की संख्या में हिंदू मुस्लिम की भीड़ थी। पूरी रात जश्न चला,मिठाइयों बांटने के दौर जारी थी। उस समय मेरठ के घंटाघर जवान था और इसकी उम्र मात्र 34 साल थी। ये कहना है घंटाघर के पास 80 साल पुरानी दुकान के मालिक नसीम अंसारी का।
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शहर की शान है घंटाघर

मेरठ शहर का घंटाघट इसी शान है। नसीम बताते हैं कि मेरठ घंटाघर का शिलान्यास 17 मार्च 1913 को हुआ था। उसके बाद से इस शहर ने घंटाघर को काफी कुछ दिया। उनका कहना है कि मेरठ शहर का ये घंटाघर आजादी के जश्न का गवाह बना। 15 अगस्त 1947 की पूरी रात दूर—दूर से लोग घंटाघट पर पहुंच रहे थे।
मैं आजादी के जश्न का गवाह,109 साल में कभी पाए दंगों के जख्म तो कभी प्यार
दंगों का दंश भी झेलना पड़ा

मेरठ का मलियाना कांड हो या फिर 80 और 90 के दशक में हुए सांप्रदायिक दंगे। इसी घंटाघर के नीचे खड़े होकर दोनों पक्षों के लोगों ने अमन-ओ-अमान की कसमें खाई। इसी घंटाघट के नीचे दोनों मजहब के लोग मिले और फिर कभी ना दंगा करने का भी दूसरे से वादा किया। इसी वादे का परिणाम है कि आज एक दशक से अधिक बीत जाने के बाद भी मेरठ में किस प्रकार का दंगा नहीं हुआ।

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हो चुकी है शाहरूख और कैटरीना के फिल्मों की शूटिंग

मेरठ के घंटाघर को बालीवुड में भी दिखाया जा चुका है। दिग्गज शाहरूख खान और कैटरीना कैफ घंटाघर पर फिल्मी शूटिंग कर चुके हैं। जिसमें शाहरूख खान ने कैटरीना को बैठाकर रिक्शा चलाई थी। मेरठ के घंटाघर का रखरखाव नगर निगम का जिम्मा है।

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