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मेरठ

हादसे के बाद डॉक्‍टरों ने फातिमा को मृत समझकर छोड़ दिया था, दोनों हाथ और पैर टूटने के बाद भी जीत रही हैं मेडल

Highlights

National Girl Child Day पर सम्‍मानित किया गया फातिमा को
2014 में उनकी स्‍कूटी में एक कार चालक ने मार दी थी टक्‍कर
करीब छह माह तक वह कोमा में रही थीं फातिमा खातून

मेरठJan 25, 2020 / 02:46 pm

sharad asthana

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सहारनपुर। 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) और उत्‍तर प्रद्रेश (Uttar Pradesh) का स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सहारनपुर (Saharanpur) के जनमंच सभागार में देश नाम रोशन करने वाली बेटियों को सम्‍मानित किया गया। इनमें पैरा एथलीट पैरा एथलीट (Para Athlete) फातिमा खातून भी शामिल रहीं। उनकी संघर्ष व जज्‍बे की कहानी लोगों में जोश भरने वाली है।
दो जगह से फ्रैक्‍चर हो चुका है हाथ

फातिमा खातून कई इंटरनेशनल चैंपियनशिप में मेडल जीत चुकी हैं। पिछले साल मई (May) में उन्‍होंने बीजिंग में हुई 7वीं चाइना पैरा एथलेटिक्स वर्ल्ड ग्रैंड प्रिक्स चैंपियनशिप में अपना लोहा मनवाया था। उन्‍होंने डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीता था। सहारनपुर में हुए कार्यक्रम में उन्‍होंने बताया कि जिस हाथ से वह गोला फेंकती हैं, वह दो जगह से फ्रैक्‍चर चुका है।
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8 किमी. दूर गई थीं पढ़ने

जब वह छह माह की थी, तब उनके पैर में पोलियो हो गया था। फातिमा ने हिम्‍मत नहीं हारी और उन्‍होंने अपनी पढ़ाई के लिए माता-पिता तक से लड़ाई की। मेरठ की राधना निवासी फातिमा खातून पढ़ाई के लिए ट्राइसाइकिल से 8 किमी दूर स्कूल गईं। पीजी करने के बाद उन्‍होंने मेहनत से बिजली विभाग में स्टेनोग्राफर की नौकरी हासिल की। 2014 में वह बेगमपुल स्थित बिजली विभाग की टेस्ट डिवीजन में तैनात थीं। ए‍क दिन वह अपने घर से एक्टिवा से ऑफिस आ रही थीं। एक कार चालक ने किठौर स्थित आरके कॉलेज के सामने उनकी स्‍कूटी में टक्‍कर मार दी। इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गई थीं।
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शरीर में लगे थे 204 टांके

फातिमा का कहना है कि हादसे के बाद एब कार डॉक्‍टरों ने उनको मृत समझकर छोड़ दिया था, लेकिन उनकी मां को उनके जिंदा होने की उम्‍मीद थी। हादसे में उनके दोनों हाथ और पैर टूट गए थे। उनके शरीर में 204 टांके लगे थे। करीब छह माह तक वह कोमा में रही थीं। उनके हाथों और पैरों में रॉड डाली गई थीं। हादसे के बाद वह करीब डेढ़ साल बिस्‍तर पर रही थीं। इसके बाद उन्‍होंने हौसले नहीं टूटने दिए।
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एथलीट कोच से मुलाकात के बदली जिंदगी

ऑफिस से आते समय वह कभी-कभी व्‍हील चेयर पर भामाशाह पार्क घूमने चली जाती थीं। जुलाई 2017 में फातिमा की मुलाकात गौरव त्‍यागी से हुई। वह एथलेटिक कोच हैं। इसके बाद उन्‍होंने खेलों में आने की ठानी। 2018 में उन्‍होंने लखनऊ में पैरा स्टेट प्रतियोगिता में डिस्कस थ्रो, जेवलिन थ्रो और शॉटपुट में तीन मेडल जीते थे। इसके बाद उन्‍होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब वह राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय खेलों में देश का नाम रोशन कर रही हैं।

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