
मुन्ना बजरंगी हत्याकांड का सच आया सामने, फारेसिंक जांच में झूठी साबित हुई पुलिस और सुनील राठी की कहानी
बागपत. उत्तर प्रदेश की बागपत जेल में पूर्वांचल के डाॅन मुन्ना बजरंगी हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में है। इस हत्याकांड की फारेंसिक जांच में पुलिस की उस थ्योरी पर सवाल खड़े हो गए हैं, जिसमें बताया गया था कि मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सुनील राठी ने पिस्टल गटर में फेंक दी थी। दरअसल, अब फारेंसिक जांच में सामने आया है कि जेल के गटर से बरामद पिस्टल से गोली नहीं चली थी, यानि मुन्ना बजरंगी की हत्या किसी दूसरे हथियार से की गई है। आगरा में हुई फारेंसिक जांच के बाद खुलासा हुआ है कि जिस पिस्टल की जांच कराई गई है, उससे गोली ही नहीं चली है। जांच रिपोर्ट आने के बाद खुद को फंसता देख पुलिस ने अब दोबारा जांच के लिए बरामद अस्लाह को आगरा लैब भेज दिया है।
गौरतलब है कि बागपत जेल में 9 जुलाई को सुबह छह बजे पूर्वांचल के डाॅन मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने मौके से दस खोके बरामद किए थे। जबकि पिस्टल को तलाशने में पुलिस को समय लगा और पिस्टल जेल के गटर में पाई गई। पिस्टल के साथ कातूस भी मिले थे, जिनको फारेंसिक जांच के लिए आगरा भेज दिया गया था। इसी बीच सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी की हत्या का कबूलनामा कर सनसनी फैला दी, लेकिन मामला किसी को पच नहीं रही था। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेल में सुनील राठी के साथ उसके रिश्तेदार ने मिलकर मुन्ना बजरंगी की हत्या को अंजाम दिया, लेकिन सारा इल्जाम सुनील ने अपने सिर ले लिया। करीब दो महीने बाद आगरा से आई फारेंसिक जांच रिपोर्ट ने पुलिस के होश उडा दिए हैं। जांच में पाया गया है कि जो पिस्टल और कातूस बरामद किए गए हैं, उनका हत्या से कोई संबंध नहीं है। पुलिस ने जांच रिपोर्ट पर आपत्ति लगाकर दोबारा आगरा भेज दिया है। इस मामले में अब सवाल यह है कि पुलिस क्या कहानी गढ़ेगी।
Updated on:
21 Sept 2018 09:39 am
Published on:
21 Sept 2018 09:31 am
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