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Patrika Exclusive: नोटिस भेजने के लिए पुलिस लेगी सोशल साइट का सहारा

प्रत्येक जिले में लागू होगी पुलिस स्तर पर व्यवस्था, नोटिस सर्व की है सबसे ज्यादा दिक्कतें

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केपी त्रिपाठी, मेरठ। सरकार और शासन का प्रयास रहता है कि उनके पास आने वाले प्रत्येक पीड़ित को जल्दी से उसकी सुविधा के अनुसार न्याय मिल जाए। शासन के निर्देश के बाद मातहतों के साथ बैठक कर अधिकारियों ने इस पर चर्चा कर निर्णय लिए हैं। थानों को पूरी तरह से ऑन लाइन कर दिया गया था। जिसके बाद रिपोर्ट दर्ज करने के साथ ही पर्चे भी ऑनलाइन कटने लगे थे। सबसे अधिक परेशानी नोटिस सर्व करने की आ रही थी।

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पुलिस की साइट पर भी जारी होंगे नोटिस

शासन के निर्देश के बाद अब नोटिस पुलिस की साइट के साथ ही सोशल साइट पर जारी किए जाएंगे। साक्ष्य के तौर पर विवेचक नोटिस भेजने की रिपोर्ट अपने पास रखेगा।

नोटिस न मिलने का बहाना

थाने से नोटिस जारी कर देने के बाद अक्सर दोनों पक्षों में से कोई भी यह बहाना बनाता है कि उसे नोटिस की कापी नहीं मिली। थाने से नोटिस जारी होने के बाद दोनों पक्षों में से किसी के पास पहुंचता है तो किसी के पास डाक या कर्मचारियों की लापरवाही से नहीं पहुंचता है। यह भी आरोप लगते हैं कि दूसरा पक्ष विवेचक या डाक कर्मी से नोटिस रुकवा देता था।

आन लाइन काटने होंगे पर्चे

प्रदेश और जिलों के सभी थानों के ऑन लाइन होने के बाद भी अभी अधिकांश थानों में ऑन लाइन एफआर्इआर नहीं हो पा रही थी। इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। मुकदमा दर्ज होने के बाद भी लोग न्याय पाने के लिए भटक रहे थे, लेकिन अब इस प्रक्रिया में भी बदलाव किया जा रहा है। इसके तहत विवेचना अधिकारी को अपनी विवेचना के पर्चे ऑन लाइन काटने होंगे। अब तक थानों में केवल दो मुंशी होते हैं, जिनका काम एफआईआर दर्ज करना, ऑन लाइन जीडी का रखरखाव करना, एनसीआर दर्ज करना, पुलिस कर्मियों की आदमी और रवानगी दर्ज करना है। इसके अलावा भी विभाग के तमाम काम इन मुंशियों पर हैं।

इन्हें दिया जाएगा प्रशिक्षण

व्यवस्था आगामी मार्च में लागू कर दी जाएगी। इसके बाद इलाहाबाद स्थित पुलिस हेडक्वाटर्स या संबंधित जिलों के पीटीसी सेंटर पर प्रभारी निरीक्षक व उपनिरीक्षकों को कम्प्यूटर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसके बाद वह अपना काम स्वयं कर सकेंगे। एसपी सिटी मान सिंह चौहान ने बताया कि सरकार के इस कार्यप्रणाली से पारदर्शिता आएंगी और लोगों को परेशानी नहीं होगी। इससे मुकदमों में चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट जल्द लगाई जा सकेगी। विवेचक यह कहकर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते कि उनके पास समय नहीं है। जब सब कुछ आॅनलाइन रहेगा तो वे कहीं से भी अपना लाॅगिन आॅनलाइन कर अपना कार्य कर सकेगा।

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