माह-ए-रमजान में आने वाली मुकद्दस दिन जैसे यौमे बद्र, फतह मक्का, हज़रत अली की शहादत के बारे में भी बताया जाएगा। दूसरी ओर हजरत फातिमा,हजरत खदीजा, हजरत इमाम हसन, हजरत आयशा की जिंदगी पर रोशनी डाली जाएगी। दर्स का कार्यक्रम रमजान की पहली तारीख से अंतिम दिन तक जगह—जगह चलाया जाएगा। रमज़ान के पवित्र दिनों में रोज़ा, मानवता की सेवा, ईश्वर की बन्दगी जैसे नेक कार्यों से धैर्य, आत्म अनुशासन, सहनशीलता, सादगी आदि मूल्यों को बढ़ावा मिलता है. योगी ने कहा कि इससे परस्पर प्रेम और भाईचारे की भावना बलवती होती है.
यह भी पढ़े : Chaitra Navratri 2022 : नवरात्र में ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग, कालसर्प दोष से परेशान हैं तो इन नौ दिन करें ये काम कारी मो शफीकुर्रहमान ने बताया कि इस्लाम में दीन का इल्म सीखना जरूरी है। जब दीन की बुनियादी बातें समझेंगे तभी तो कुरान को सही ढ़ंग से पढ़ना और समझना जानेंगे। उन्होंने कहा कि इबादत मुसलमानों के लिए फायदामंद साबित होगी। मुफ्ती मोहम्मद कारी ने कहा कि रमजान का महीना रहमतों, बरकतों, और मगफिरत का होता है। रोजे में भूख व प्यास के एहसास साथ ही आस-पास के मुसलमान भाईयों का ध्यान भी रखना चाहिए।