
Sawan 2018: यह है रावण की ससुराल, इस मंदिर में हुई थी रावण और मंदोदरी की पहली मुलाकात
मेरठ। यूं तो मेरठ शहर में सिद्धपीठ और शिव मंदिरों का अपना एक अलग ही इतिहास है, लेकिन शहर के सदर क्षेत्र स्थित श्री बिल्वेश्वर शिव मंदिर की अपनी अलग ही मान्यता है। बताया जाता है कि त्रेता युग में रावण की पत्नी मंदोदरी रोज भगवान शिव की पूजा करने के लिए अपनी सखियों के साथ इस मंदिर में आती थी। भगवान भोलेनाथ ने मयदानव की पुत्री मंदोदरी की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें इसी मंदिर में ही दर्शन दिए थे और वरदान मांगने के लिए कहा था। मंदोदरी ने भगवान भोलेनाथ से इच्छा जताई कि उनका पति धरती पर सबसे बड़ा विद्वान और शक्तिशाली हो। बताया जाता है कि इसके फलस्वरूप इसी मंदिर में रावण से मंदोदरी की पहली मुलाकात हुई थी, जिसके बाद दोनों की शादी हुई। तभी से इस मंदिर को भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त है।
सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद होती है पूरी
मंदिर के पुजारी पंडित हरीशचन्द्र जोशी ने बताया कि मान्यता है कि जो कोई भी सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। महाशिवरात्रि और शिवरात्रि पर प्रति वर्ष लाखों कांवड़िए मंदिर के शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। हर सोमवार को सैकड़ों धर्मप्रेमी मनोकामनाओं को लेकर मंदिर आते हैं। जब भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है तो वह शिव-पार्वती की पोषाक चढ़ाने के बाद भंडारे का आयोजन करता है।
मयदानव ने कराया था भंडारा
पुराणों के अनुसार, मेरठ का प्राचीन नाम मयदानव का खेड़ा था और वह राक्षसपुरा का राजा था। मेरठ मयदानव की राजधानी थी। मयदानव की एक पुत्री थी, जिसका नाम मंदोदरी था। उसके नाम से ही इस नगर का नाम मयराष्ट्र पड़ा था। मंदोदरी शिव की बहुत बड़ी भक्त थी। मंदोदरी ने अपने पिता से श्री बिल्वेश्वर शिव मंदिर में भंडारा कराने की बात कही थी। मयदानव ने लोगों को मंदिर में आमंत्रित कर भंडारे का आयोजन किया था।
ऐसे प्रसन्न हुए भगवान भोलेनाथ
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर को भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त है। जो कोई भी भक्त मंदिर में सच्चे मन और श्रद्धा से भगवान शिव की अराधना करता है और 40 दिन तक शिवलिंग के पास दीपक जलाता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। मंदोदरी ने भी 40 दिन तक इस मंदिर में दीप जलाकर भगवान को प्रसन्न किया था।
151 वर्ष पुराना गुरुकुल
दो हजार गज जमीन में फैले श्री बिल्वेश्वर शिव मंदिर परिसर में करीब 151 वर्ष पुराना गुरुकुल है। गुरुकुल का नाम भी श्री बिल्वेश्वर संस्कृत महाविद्यालय है। उसमें लगभग 70 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मंदिर के पुजारी पंडित हरीश चन्द्र जोशी ने बताया कि वह 29 वर्ष से इस मंदिर में हैं। श्री बिल्वेश्वर शिव मंदिर मेरठ का पहला शिव मंदिर है।
Published on:
06 Aug 2018 04:30 pm
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