
Shani Jayanti
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ. दस जून गुरुवार को 148 साल बाद सूर्य ग्रहण (Solar eclipse ) और शनि जयंती ( shani jayanti ) एक साथ पड़े हैं। ऐसा संयोग इससे पहले 26 मई 1873 को हुआ था। ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री अमावस्या भी है और वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण है। यह सूर्य ग्रहण दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा। सूर्यग्रहण करीब पांच घंटे तक रहेगा।
इस सूर्यग्रहण के साथ एक संयोग भी बन रहा है। इसी तिथि पर सूर्य पुत्र शनिदेव की जयंती भी मनाई जाएगी, जिस कारण से इस तिथि का महत्व बढ़ गया है। एक तरफ पिता सूर्यदेव ग्रहण के साए में रहेंगे तो वहीं पुत्र शनि की जयंती मनाई जाएगी। शनि जयंती पर सूर्यग्रहण लगेगा और यह ग्रहण वलायाकार सूर्य ग्रहण होगा जिसमें सूर्य एक चमकदार अंगूठी के रूप में दिखाई पड़ेगा। सूर्यग्रहण और शनि जयंती एक साथ होने के अलावा इस दिन शनिदेव मकर राशि में वक्री रहेंगे। देश में यह सूर्यग्रहण नहीं दिखाई देगा। इस कारण से यहां सूतककाल मान्य नहीं रहेगा।
ज्योतिषाचार्य अनिल शास्त्री के अनुसार सूतककाल वहीं पर मान्य होता है जहां ग्रहण दिखाई देता है, इसलिए इस सूर्य ग्रहण में न तो मंदिर बंद होंगे और न ही पूजा आराधना। साल का यह दूसरा ग्रहण वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। सूर्यग्रहण की सबसे खास बात है कि जिस दिन सूर्यग्रहण होगा उसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव और शनिदेव पिता-पुत्र हैं और दोनों के बीच में बैर भाव रहता है। इस मौके पर जिन जातकों पर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा चल रही है उन्हें हनुमान चालीसा का पाठ और शनि से संबंधित चीजों का दान करना शुभफलदायी होगा।
Updated on:
10 Jun 2021 11:08 am
Published on:
10 Jun 2021 11:07 am
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