
भीम आर्मी के बाद अब दलितों के इस संगठन ने किया ये बड़ा ऐलान, मुश्किल में योगी सरकार
मेरठ. मेरठ जिले में उल्देपुर जातीय संघर्ष अब राजनीतिक रंग लेने लगा है। प्रशासन ने अगर समय रहते इसका हल नहीं किया तो यह सत्तारूढ़ भाजपा यानी योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए नासूर बन सकता है। बता दें कि उल्देपुर गांव में चौहानों और दलितों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। इसमें दलित पक्ष से एक युवक रोेहित की मृत्यु हो गई थी, जिसमें दलितों ने राजपूत पक्ष के छह लोगों को नामजद किया था। इनमें से तीन को पुलिस ने उठा लिया था। इसके बाद चौहानों ने मेरठ कमिश्नरी पर प्रदर्शन किया था। उस दौरान एसएसपी मेरठ राजेश कुमार पांडे ने मामले में निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया था। चौहानों के प्रदर्शन के बाद अब दलितों ने कमिश्नरी में महापंचायत का निर्णय लिया है। इस महापंचायत की तारीख भी तय कर दी गई है। दलितों के अनुसार यह महापंचायत आगामी 20 अगस्त को की जाएंगी। दलितों के इस ऐलान से प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं। इसको लेकर पुलिस-प्रशासन अलर्ट हो गया है।
उल्देपुर प्रकरण अभी भी गर्माया हुआ है। इसको लेकर लगातार राजनीति जारी है। गुरुवार को अाम्बेडकर कॉलेज में दलितों की एक सभा हुई। इस सभा मे दलित छात्र संगठन, दलित सामाजिक संगठन के अलावा दलित अधिवक्ताओं ने भी भाग लिया। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगामी 20 अगस्त को महापंचायत की जाए। महापंचायत के नेतृत्व के लिए एक मोर्चा बनाया गया है। महापंचायत दलित संघर्ष मोर्चा के बैनर तले की जाएगी।
डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट के अध्यक्ष डॉ. सुशील गौतम ने बताया कि उल्देपुर में हुई हिंसा में रोहित जाटव की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। इसके बावजूद पुलिस ने मृतक पक्ष के 12 लोगों पर ही मुकदमा दर्ज कर दिया। उन्होंने पीड़ित परिवार को 25 लाख मुआवजा, एक सदस्य को सरकारी नौकरी और दो हथियार लाइसेंस देने की मांग सरकार से पहले ही की थी। उन्होंने कहा कि दूसरे पक्ष ने जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया है। पुलिस का दूसरे पक्ष के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में कार्रवाई करनी चाहिए।
Published on:
17 Aug 2018 12:03 pm
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