
मेरठ। उत्तर भारत में नवरात्र का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। आस्था से परिपूर्ण नवरात्र में तन, मन और आत्मा को स्वच्छ करने का मौका होता है। इन नौ दिनों में व्रत के दौरान खानपान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। इन दिनों अन्न नहीं खाया जाता। बल्कि अन्य फलाहारी चीजें भी खाई जाती हैं। लेकिन उत्तर भारत में व्रत के दौरान कुट्टू का आटा खाने का प्रचलन है। क्या आप जानते हैं कुट्टू के आटे को खाने का व्रत में क्या लाभ होता है। कुट्टू का आटा अनाज नहीं बल्कि फल से बनता है जोकि अनाज की जगह एक बेहतर विकल्प है।
पूरी और पकोड़े तलने की बजाय इससे बनी रोटी खाएं। कुट्टू के आटे से इडली भी बन सकती है और समा के चावल से डोसा भी बनाया जा सकता है। कुट्टू के आटे के फायदों के बारे में वैलेटिस कैंसर हॉस्पिटल के डॉ. राहुल भार्गव बताते हैं कि कुट्टू का आटा प्रोटीन से भरपूर होता है और जिन्हें गेहूं से एलर्जी हो उनके लिए बेहतरीन विकल्प है। इसमें मैग्नीशियम, विटामिन बी, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फेट, जिंक, कॉपर, मैग्नीज और फास्फोरस भरपूर मात्रा में होता है। डॉ. राहुल भार्गव के अनुसार इसमें फाईटोन्यूट्रियेंट रूटीन भी होता है जो कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रैशर को कम करता है। डॉ. राहुल के अनुसार यह सेलियक रोग से पीड़ितों के लिए अच्छा आहार होता हैै।
इसके आटे में ग्लूटन नहीं होता
डॉ. राहुल के अनुसार कुट्टू के आटे को चबाना आसान नहीं होता। इसलिए इसे छह घंटे पहले भिगो कर रखा जाता है। फिर इसे नर्म बनाने के लिए पकाया जाता है ताकि आसानी से पच सके। चूंकि इसमें ग्लूटन नहीं होता इसलिए इसे बांधने के लिए आलू का प्रयोग किया जाता है। यह ध्यान रखें कि इसकी पूड़ियां बनाने के लिए हाईड्रोजेनरेट तेल या वनस्पति घी का प्रयोग न करें, क्योंकि यह इसके मेडिकल तत्वों को खत्म कर देता है। इससे बनी पूड़ियां ज्यादा कुरकुरी होती हैं।
जटिल कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा
कुट्टू 75 प्रतिशत जटिल कार्बोहाइड्रेट है और 25 प्रतिशत हाई क्वालिटी प्रोटीन, वजन कम करने में यह बेहतरीन मदद करता है। इसमें अल्फा लाइनोलेनिक एसिड होता है, जो एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है और एलडीएल को कम करता है।
फायबर का अच्छा स्रोत
कुट्टू अघुलनशील फायबर का अच्छा स्रोत है और गाल ब्लैडर में पथरी होने से बचाता है। अमेरिकन जरनल आॅफ गेस्ट्रोएनट्रोलाॅजी के मुताबिक पांच प्रतिशत ज्यादा घुलनशील फायबर लेने से गाल ब्लैडर की पथरी होने का खतरा दस प्रतिशत कम हो जाता है। फाइबर से भरपूर और ग्लिसेमिक इंडेक्स कम होने से यह डायबटीज वालों के लिए बेहतर विकल्प है। कुट्टू के आटे का ग्लिसेमिक इंडेक्स 47 होता है। कुट्टू के आटे में मौजूद चाईरो-इनोसिटोल की पहचान डायबिटीज रोकने वाले तत्व के रूप में की गई है।
Published on:
08 Oct 2018 08:11 pm
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