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कहीं जेल के इस आेर गेट खुलने की वजह से तो नहीं हुर्इ मुन्ना बजरंगी की हत्या!

जेल में वास्तु दोष को भी माना जा रहा आए दिन झगड़ों की वजह

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मेरठ

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Nitin Sharma

Jul 13, 2018

munna bajrangi

कहीं जेल के इस आेर गेट खुलने की वजह से तो नहीं हुर्इ मुन्ना बजरंगी की हत्या!

बागपत।बागपत जिला जेल शुरू से ही विवादों में घिरी हुई है।कभी यहां से बंदी फरार हो जाते है, तो कभी जेल के अंदर ही बंदियों के बीच खूनी संघर्ष हो जाता है।सोमवार को तो जेल के अंदर ही कुख्यात बदमाश मुन्ना बजरंगी को ही मौत के घाट उतार दिया गया।इससे पहले भी यहां कभी मारपीट खून खराबा कैदियों में रहा है।अब इसको संयोग कहा जाये या वास्तु दोष की जेल का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में खुलता है।जिसको कई लोग अशुभ मानते है।शास्त्रों में बताया गया है कि किसी भी कारागार का मुख्य द्वार पश्चिम की और रहने से जेल में कैदी ही नहीं प्रशासन भी दुःखी रहेगा।

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इस दिन शुरू हुर्इ थी बागपत जेल

बागपत जिला जेल का शुभारम्भ 16 मई 2016 को हुआ था।जेल की क्षमता 660 बंदियों की है।लेकिन जेल के शुरू होने के साथ ही इसमें क्षमता से अधिक बंदियों को ठूंस दिया गया।इनमें काफी कुख्यात बदमाश शामिल है। ये बदमाश जेल में भी गैंगों में बंटे हुए है।आए दिन इनके बीच खूनी संघर्ष होता रहता है।25 अगस्त 2017 को तो मेरठ का रहने वाला बंदी रिजवान चलती एम्बूलेंस से कूदकर फरार हो गया था।इसके बाद सुनील राठी गैंग ने उत्तरांचल के चिकित्सक से जेल से फोन कर रंगदारी मांगी थी।इस मामले को लेकर भी जेल प्रशासन की खूब छिछालीतर हुई थी।आरोपी बंदी रक्षकों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था।पिछले माह जेल से पेशी पर गया कुख्यात बदमाश जावेद भी पुलिस कर्मियों को चकमा देकर फरार हो गया था।जेल में कैदियों के बीच संघर्ष की भी घटनाएं होती रही है। इन सबके पीछे वास्तु दोष बताया जा रहा है।

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यह वास्तु दोष तो नहीं जेल में इन सब की वजह

गाजियाबाद के रहने वाले सुशील शास्त्री की माने तो जेल का मुख्य द्वारा पश्चिम दिशा में होना ही नहीं चाहिए।इससे जेल में दोष उत्पन्न हो जाता है।जिससे कैदी भी परेशान रहते है और प्रशासन भी।शास्त्री जी की माने तो जेल बनाने से पहले यह सब देखना चाहिए था।उनका कहना है कि शास्त्रों में इसका वर्णन किया गया है। किसी भी कारागार का द्वारा पश्चिम दिशा में अशुभ रहता है।शायद इसी का खामियाजा बागपत जनपद भुगत रहा है।जब से जेल का निर्माण हुआ है।तब से जेल में अशान्ति ही अशान्ति है।शास्त्री जी की बात को भले ही जिला प्रशासन महसूस न करें।लेकिन कई और लोग आज भी इसे दोष का ही कारण मान रहे है।