
मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में भर्ती चार हाथ और चार पैर वाला नवजात।
Meerut News: मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डॉ. वीडी पाण्डेय ने चार हाथ और चार पैर वाले इस अद्भुत नवजात बच्चे के बारे में जारकारी देते हुए बताया कि एक नवजात शिशु का जन्म मुजफफरनगर में उनके घर पर हुआ। बच्चे के पिता को बच्चा पैदा होने के बाद बताया गया कि बच्चे के 04 हाथ व 04 पैर है। तब वो बच्चे को जिला अस्पताल मुजफफरनगर लेकर गए। जहां से बच्चे को मेडिकल कालेज मेरठ के लिये रेफर कर दिया गया।
प्रसव घर पर दाई के द्वारा कराया गया
मेरठ मेडिकल कालेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ0 नवरतन गुप्ता ने बताया कि बच्चे के पिता से की गई बातचीत से पता चला कि इस बच्चे से बड़ी तीन बहनें, जिनकी उम्र क्रमशः 7, 4, 1 वर्ष हैं। यह उनका चौथा बच्चा है। सभी बच्चों का प्रसव घर पर दाई के द्वारा कराया गया था। जब बच्चा मेडिकल कालेज मेरठ में भर्ती किया गया तब उसको सांस लेने में दिक्कत थी। जिसका उपचार कर दिया गया। अब बच्चे को नली द्वारा दूध दिया जा रहा है। बच्चे की स्थिति स्थिर बनी हुई है।
जुडवा बच्चे की जटिलता से पैदा होती है विकृति
उन्होंने बताया कि इस प्रकार की विकृति जुड़वां बच्चे की जटिलता (काम्प्लीकेशन) है। इसमें एक बच्चा तो पूरी तरह विकसित इुआ परन्तु दूसरे बच्चे का अपूर्ण विकास धड़ से निचले हिस्से का ही हो पाया। जबकि धड़ से उपर का हिस्सा विकसित न होकर एक में ही जुड़ गया। जबकि देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एक बच्चे के ही चार हाथ एवं चार पैर है जब्कि दो हाथ व दो पैर दूसरे अविकसित बच्चे के है।
60 हजार बच्चों में से एक में होती है ऐसी विकृति
इस प्रकार के बच्चों की जन्मजात विकृति 50 से 60 हजार में से किसी एक बच्चे को होती है। यदि किसी माता-पिता का पहला व दूसरा बच्चा नार्मल हुआ है तो एसा नही है कि उनके अगले पैदा होने वाले बच्चो में जटिलता नही आयेगी। बच्चे के पिता चाहते है कि उनके बच्चे का किसी प्रकार से इलाज मेडिकल कालेज में हो तथा इस बच्चे के अतिरिक्त अंगो की सर्जरी के द्वारा हटाते हुए साधारण जीवन यापन एवं दैनिक दिनचर्या के समस्त कार्य योग्य बनाने तथा सामाजिक स्वीकृति के अनुरूप बनाया जाए।
गर्भवती दो बार स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ और विभागाध्यक्ष डॉ. रचना चौधरी ने बताया कि गर्भधारण के पश्चात भारत सरकार द्वारा जननी सुरक्षा योजना के मध्यम से आम जनमानस तक यह जागृति पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा कि कोई भी गर्भवती शुरूआत के तीन माह के बीच एक बार, चार से छ माह के बीच एक बार तथा सात से नौ माह के मध्य दो बार स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें। प्रथम तीन माह गर्भवती महिला के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। जिसमें कुछ दवाओं का सेवन कराया जाता है। जिसके सेवन से शिशुओं के जन्मजात विकृतियों में कमी आती है।
अल्टासाउन्ड से गर्भ का परिक्षण समय समय पर कराते रहते हैं
अगर गर्भवती महिलायें चिकित्सक से सम्पर्क करेगी तो चिकित्सक अल्टासाउन्ड से गर्भ का परिक्षण समय समय पर कराते रहते हैं। डा0 चौधरी ने कहा कि हर गर्भवती का 18 से 20 सप्ताह की गर्भावस्था में जन्मजात विकृतियों को देखने के लिए अल्टासाउंड विशेषज्ञ द्वारा कराया जाना अति आवश्यक है। यदि कोई जन्मजात विक्रति गर्भ में दिखती है तो एसे शिशु को न पैदा करते हुए अधिकत 24 सप्ताह के भीतर तक गर्भ समापन (MTP) किया जा सकता है।
बोले मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य
मेडिकल कालेज प्राचार्य डॉ0 आरसी गुप्ता ने बताया कि बच्चे के इलाज का मेडिकल कालेज के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम (बालरोग विशेषज्ञ/पीडियाट्रीक सर्जन/प्लास्टिक सर्जन/एनेस्थिसिया) के साझा प्रयास से बच्चे को सामान्य बनाए जाने हेतु हर सम्भव प्रयास किया जायेगा।
Published on:
10 Nov 2023 07:17 pm
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