
shramik special trains
शादाब अहमद / नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी ( COVID-19 Lockdown in India ) के बीच पिछले दिनों श्रमिक स्पेशल ट्रेनों ( Shramik Special Trains ) के रेल मार्गों से भटकने की खबरों ने देशभर में हलचल मचा दी है। दरअसल, देशभर के अधिकांश इलाकों से चल रही श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों में से 80 फीसदी उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) और बिहार ( Bihar ) जा रही हैं। ऐसे में इन दोनों राज्यों के रेल मार्गों पर ट्रेनों का ट्रैफिक अधिक होने से रेलवे ( Indian Railway ) को ट्रेनों के निर्धारित रास्तों को बदलना पड़ रहा है। अचानक बदले गए रास्तों से इनमें यात्रा कर रहे प्रवासी मजदूरों ( migrant laobur ) को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
लॉकडाउन ( Lockdown ) के दौरान फंस गए मजदूरों की घर वापसी के लिए 1 मई से भारतीय रेलवे ( Indian Railway ) श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रहा है। ये ट्रेनें अधिकतर यूपी, बिहार के अलावा झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में जा रही हैं।
अकेले यूपी और बिहार के लिए प्रतिदिन 170 से 180 ट्रेनें चल रही हैं। इसके चलते दोनों राज्यों के रेल मार्गों पर ट्रेनों का आवागमन बढ़ गया है। कई ट्रेनों का संचालन महज दो से तीन घंटे की तैयारी में किया जा रहा है, जिससे भी कई श्रमिक ट्रेनों को डायवर्ट करना पड़ रहा है।
गोरखपुर ट्रेन का दो बार बदला गया था रास्ता
मुंबई से गोरखपुर जाने वाली ट्रेन के राउरकेला पहुंचने का मामला सबसे पहले सुर्खियों में आया, दरअसल इस ट्रेन का दो बार रास्ता बदला गया। पश्चिम रेलवे ने 21 मई को ट्विटर पर इसकी जानकारी भी दी थी। इसमें रेलवे की ओर कहा गया था कि 21 मई को वसई रोड से गोरखपुर के लिए चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन भुसावल, इटारसी, जबलपुर, मानिकपुर रूट पर चलने वाली थी, लेकिन यह ट्रेन डायवर्टेड रूट के माध्यम से गोरखपुर जाएगी। मौजूदा रूट पर भारी भीड़ के कारण यह ट्रेन बिलासपुर, झारसुगुडा, राउरकेला, आसनसोल रूट के जरिए जाएगी। इसी तरह कई अन्य ट्रेनों के साथ हुआ।
सिंगल रूट पर सौ फीसदी से अधिक चली ट्रेनें
रेलवे के सूत्रों ने बताया कि पिछले दिनों यूपी-बिहार की ओर जाने वाले रेल मार्ग पर ट्रेनों का भारी ट्रैफिक रहा। सिंगल लाइन सेक्शन में सौ फीसदी से अधिक ट्रेनें तक चलानी पड़ीं।
हजारों किमी गलत मार्ग पर नहीं जा सकती
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि ट्रेनें रास्ता कभी कभार ही भटकती हैं। अधिकारियों की इजाजत के बिना ट्रेन हजार किलोमीटर नहीं चल सकती। हर ट्रेन का अपना रास्ता होता है, उस पर चलाने के लिए कई लोग काम करते हैं। साथ ही हर क्रॉसिंग और स्टेशन से गुजरने की जानकारी उस स्टेशन, डिविजन और जोन को होती है। ड्राइवर ट्रैफिक सिग्नल को फॉलो करते हैं और रेल मार्ग नहीं बदल सकते।
रेलवे को मिली ट्रेन भटकने की शिकायतें
सूत्रों ने बताया कि ट्रेनों को न्यूनतम दूरी वाले मार्ग की बजाय अधिक दूरी वाले मार्गों पर डायवर्ट करने से इनमें यात्रा कर रहे मजदूरों को खाने-पीने की समस्या हो गई। इसके चलते ट्रेनों के भटकने की शिकायतें रेलवे तक पहुंची।
Updated on:
27 May 2020 08:48 pm
Published on:
27 May 2020 08:06 pm
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