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दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आप ने 12 दिनों में कराए डेढ़ लाख हस्ताक्षर

locationनई दिल्लीPublished: Jul 13, 2018 09:30:48 am

Submitted by:

Shivani Singh

आम आदमी पार्टी ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए अब तक उन्हें 12 दिनों में 1.53 लाख हस्ताक्षर किए पत्र समर्थन के रूप में मिले है।

Delhi full statehood

दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आप ने 12 दिनों में जुटाए 1.53 लाख हस्ताक्षर

नई दिल्ली। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने में जुटी आम आदमी पार्टी ने अब एक नया तरीका अपनाया है। आप ने गुरुवार को बताया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया था। इस अभियान के तहत मात्र 12 दिनों में 1.53 लाख लोगों ने अपने हस्ताक्षर युक्त पत्र भेजकर अपना समर्थन दिया है।

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आप बूथ स्तर पर ले जाएगी अपने अभियान को

पार्टी का कहना है कि वह इस लड़ाई को बूथ स्तर पर ले जाकर अपने अभियान को मजबूती देगी। वहीं, पार्टी के दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने कहा, ‘पार्टी हस्ताक्षर अभियान में और तेजी लाने के लिए इस रविवार अपने सभी विधायकों की एक बैठक आयोजित करेगी।’उन्होंने बताया कि हस्ताक्षर अभियान में हमें 272 वार्डो तथा 70 विधानसभाओं से लगभग 1,52,000 हस्ताक्षर युक्त पत्र प्राप्त हुए हैं।

एक जुलाई से शुरू हुआ था अभियान

बता दें कि आम आदमी पार्टी ने एक जुलाई को दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग के साथ हस्ताक्षर अभियान ‘दिल्ली मांगे अपना हक’ शुरू किया था। पार्टी ने इस मुद्दे पर 10 लाख परिवारों का समर्थन हासिल करने का लक्ष्य रखा था।

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पूर्ण राज्य के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश संशय भरा

सर्वोच्च न्यायालय के चार जुलाई के आदेश पर संशय पर उन्होंने कहा कि न्यायालय ने यह नहीं कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए कि नहीं, बल्कि न्यायालय ने यह कहा है कि केंद्र और उप-राज्यपाल मिलकर दिल्ली सरकार की शक्तियों का हनन करने की कोशिश कर रहे हैं। न्यायालय ने दिल्ली सरकार को तीन विभागों पुलिस, भूमि और लोक आदेश को छोड़कर अन्य सभी विभागों के कानून बनाने का अधिकार दिया है।

राय ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार योजनाएं बना सकती है, लेकिन इन्हें लागू करने के लिए नौकरशाहों के समर्थन की बहुत जरूरत है। लेकिन अधिकारी सरकार का आदेश नहीं मान रहे हैं। घर पर राशन आवंटन से लेकर बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने तक हर योजना बाधित हो रही है। राष्ट्रीय राजधानी के साथ ऐसा सलूक कहां तक उचित है?

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