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तीन तलाक पर अध्यादेश को AIMPLB ने बताया ‘लोकतंत्र की हत्या’

एआईएमपीएलबी ने तीन तलाक के खिलाफ अध्यादेश लाने पर गुरुवार को कहा कि मोदी सरकार ने 'लोकतंत्र की हत्या और संसद का अपमान' किया है।

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तीन तलाक पर अध्यादेश को AIMPLB ने बताया 'लोकतंत्र की हत्या'

तीन तलाक पर अध्यादेश को AIMPLB ने बताया 'लोकतंत्र की हत्या'

नई दिल्ली। तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश को अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। एआईएमपीएलबी ने गुरुवार को कहा कि मोदी सरकार ने 'लोकतंत्र की हत्या और संसद का अपमान' किया है। एआईएमपीएलबी के सचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि सरकार एक ऐसे मुद्दे पर पीछे के दरवाजे से अध्यादेश लाई जो ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं था और जिस मामले में लोकतांत्रिक तरीके से और जनता की राय के माध्यम से कानून बनाया जा सकता था। बता दें कि रहमानी बोर्ड के प्रवक्ता भी हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून मुस्लिमों के लिए अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाएं पहले ही इसे खारिज कर चुकी हैं।

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'6 महीने में अपने आप रद्द हो जाएगा अध्यादेश'

आपको बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय में अध्यादेश को चुनौती देने के मामले में उन्होंने कहा, "बोर्ड की कानून समिति इस मामले को देखेगी। वैसे भी अध्यादेश छह महीने में अपने आप ही रद्द हो जाएगा। रहमानी ने कहा कि सरकार ने संसद में विधेयक लाने का प्रयास किया था जो शरीयत में हस्तक्षेप और महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना ही है कि सरकार ने जिस समुदाय के लिए यह विधेयक बनाया, उससे ही इस पर कोई सलाह-मशविरा नहीं किया। सरकार ने विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की राज्यसभा में विपक्ष की मांग को भी दरकिनार कर दिया। अगर ऐसा हुआ होता तो समुदाय या एआईएमपीएलबी जैसे उसके संगठनों को अपने विचार रखने का एक मौका मिलता।

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सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध करार दिया है

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है। जिसके बाद केंद्र सरकार ने कानून बनाने के लिए संसद में बिल पेश किया। लोकसभा में यह बिल पारित भी हो गया लेकिन राजनीति के कारण राज्यसभा में यह बिल अटक गया। जिसके बाद मोदी सरकार ने इस पर अध्यादेश लेकर आई। इस पर रहमानी ने कहा कि यह अध्यादेश किसी भी तर्क से परे है क्योंकि इसमें एक व्यक्ति को उस अपराध के लिए दंडित करने की बात कही गई है, जो उसने किया ही नहीं। उन्होंने कहा, सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक को अवैध कर दिया था। जब आप कहते हैं कि जब एक व्यक्ति तीन तलाक देता है तो वह प्रभावी ही नहीं होता, तब फिर आप उसे तीन साल के लिए जेल किस बात की वजह से भेज रहे हैं। रहमानी ने कहा कि तीन तलाक को अपराध करार देने से अपने पतियों द्वारा छोड़ी जाने वाली महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी।


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