कठुआ: अवैध अनाथ आश्रम पर छापेमारी कर छुड़ाए 20 बच्चे, पादरी पर यौन उत्पीड़न का आरोप
समलैंगिकता संबंधी मामलों की स्टडी
दरअसल, जनरल बिपिन रावत की अध्यक्षता वाली यह कमेटी सेना में सामने आए समलैंगिकता संबंधी मामलों की स्टडी कर जवानों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रभाव के बारे में पूरा ब्यौरा तैयार करेगी। इसके अलावा कमेटी ऐसे देशों (इंग्लैंड, अमरीका व फिलिप्पींस) के सैन्यों की भी स्टडी करेगी, जिनमें समलैंगिक सैनिकों की स्वीकारोक्ति है। आपको बता दें कि भारत की सेनाओं (नौसेना और वायुसेना) के मौजूदा कानून सैनिकों के समलैंगिक संबंधों को स्वीकारोक्ति नहीं देते। बल्कि इसके विपरीत ऐसा पाए जाने पर उनके लिए कोर्ट मार्शल कानून के तहत कठोरतम सजा का प्रावधान है। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से ही बाहर कर दिया है। ऐसे में सेना को भी अपने कानून में संशोधन की आवश्यक्ता महसूस हुई है।
आखिर केरल में क्यों है धारा-377 पर फैसले को लेकर इतनी खुशी? रिपोर्ट से हुआ खुलासा
सैन्य अधिकारियों के अनुसार यह कमेटी समलैंगिक संबंधों से संबंधित मामलों में कानून में क्या संशोधन किया जा सकता है। उस पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। आपको बता दें कि हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 पर एतिहासिक फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सेना को अपने कानूनों में बदलाव करना पड़ेगा।