
धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की स्टडी करेगी सेना, कानून में बदलाव का सुझाएगी उपाए
नई दिल्ली। भारतीय सेना समलैंगिक संबंधों से जुड़ी धारा 377 को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की स्टडी कर रही है। शीर्ष अदालत के फैसले की स्टडी के लिए सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत समेत सात कमांडरों की एक कमेटी का गठन किया गया हे। सेना प्रमुख के अलावा कमेटी में सभी सभी अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के हैं। यह कमेटी धारा 377 पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की स्टडी कर उस पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और कोर्ट मार्शल से जुड़े कानून में संशोधन पर अपना सुझाव देगी।
समलैंगिकता संबंधी मामलों की स्टडी
दरअसल, जनरल बिपिन रावत की अध्यक्षता वाली यह कमेटी सेना में सामने आए समलैंगिकता संबंधी मामलों की स्टडी कर जवानों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रभाव के बारे में पूरा ब्यौरा तैयार करेगी। इसके अलावा कमेटी ऐसे देशों (इंग्लैंड, अमरीका व फिलिप्पींस) के सैन्यों की भी स्टडी करेगी, जिनमें समलैंगिक सैनिकों की स्वीकारोक्ति है। आपको बता दें कि भारत की सेनाओं (नौसेना और वायुसेना) के मौजूदा कानून सैनिकों के समलैंगिक संबंधों को स्वीकारोक्ति नहीं देते। बल्कि इसके विपरीत ऐसा पाए जाने पर उनके लिए कोर्ट मार्शल कानून के तहत कठोरतम सजा का प्रावधान है। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से ही बाहर कर दिया है। ऐसे में सेना को भी अपने कानून में संशोधन की आवश्यक्ता महसूस हुई है।
सैन्य अधिकारियों के अनुसार यह कमेटी समलैंगिक संबंधों से संबंधित मामलों में कानून में क्या संशोधन किया जा सकता है। उस पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। आपको बता दें कि हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 पर एतिहासिक फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सेना को अपने कानूनों में बदलाव करना पड़ेगा।
Published on:
12 Sept 2018 08:07 am
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