
नई दिल्ली। दिवाली ( Diwali ) से पहले दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने एयर पॉल्यूशन (Air Pollution) को देखते हुए इस बार दिवाली के पटाखों पर बैन (Ban on Firecrackers) लगा दिया है। सरकार की ओर से लगाया गया यह बैन पटाखे खरीदने, बेचने और जलाने तीनों पर लागू होगा। इस फैसले का प्रभाव यह होगा कि दिल्ली में पटाखे नहीं चलाए जा सकेंगे। खास बात यह है कि इस साल ग्रीन पटाखों पर भी पूरी तरह से बैन रहेगा। आपको बता दें कि यह फैसला मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(CM Arvind Kejriwal) ने गुरुवार को दिल्ली में हुई एक रिव्यू बैठक में लिया है।
पटाखों पर प्रतिबंध का यह फैसला 7 नवंबर से 30 नवंबर तक
दिल्ली सरकार का पटाखों पर प्रतिबंध का यह फैसला 7 नवंबर से 30 नवंबर तक रहेगा। आपको बता दें कि दिल्ली में गुरुवार को कोरोना वायरस, वायु प्रदूषण (Air Pollution) और पटाखों को लेकर केजरीवाल सरकार की रिव्यू मीटिंग थी। मीटिंग में दिल्ली सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में जवाब दाखिल करने के लिए शुक्रवार तक का समय मांगा था। इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि कोरोना काल में बढ़ते एयर पॉल्यूशन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल काफी कड़ाई बरत रही है। इसी क्रम में एनजीटी 7 से 30 नवंबर तक पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर प्रतिक्रिया भी दिखा चुका है। एनजीटी में पटाखों पर बैन को लेकर आज सुनवाई भी थी।
NGT में सुनवाई
NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेनानिवृत्त) आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पटाखों के इस्तेमाल से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई करने की विभिन्न दलीलों पर सुनवाई की। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( NGT ) ने गुरुवार को पटाखों पर रोक वाली याचिका पर 9 नवंबर तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है। NGT ने 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले को प्रदूषण के संकट और कोविड-19 महामारी की दोहरी मार के बीच सुरक्षित रखा है। इस सप्ताह की शुरुआत में एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली पुलिस आयुक्त और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से सात से 30 नवंबर तक पटाखे प्रतिबंधित किए जाने को लेकर जवाब मांगा था।
बुधवार को ट्रिब्यूनल ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र से परे पटाखों के उपयोग से प्रदूषण के मामलों की सुनवाई के दौरान अपने दायरे का विस्तार किया और 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए, जहां हवा की गुणवत्ता मानदंडों से परे है।
Updated on:
05 Nov 2020 09:37 pm
Published on:
05 Nov 2020 09:19 pm
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