दरअसल, इस मामले में सामाजिक समूह विवेक विचार मंच के सदस्य सागर शिंदे ने पिछले हफ्ते आयोग को एक आवेदन दिया था। इसमें 2018 में हुई हिंसा के बारे में शरद पवार द्वारा 18 फरवरी को दिए बयान को लेकर पूछताछ करने की मांग की गई थी। आवेदन में कहा गया था कि शरद पवार ने मीडिया के सामने आरोप लगाया था कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ता मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिंडे ने पुणे के बाहरी इलाके भीमा कोरेगांव और इसके आसपास के इलाकों में हिंसा का माहौल बनाया था।
दिल्ली हिंसाः मोदी और केजरीवाल सरकार से सोनिया गांधी ने पूछे 4 सवाल, मांगा जवाब आवेदन में यह भी कहा गया है कि पवार ने पुणे शहर के पुलिस आयुक्त की भूमिका भी संदिग्ध होने का आरोप लगाया है। आवेदक ने कहा है कि शरद पवार के पास और भी महत्वपूर्ण जानकारी है। इसलिए उनसे इस मामले में पूछताछ करने की जरूरत है।
भाजपा सरकार ने किया था आयोग का गठन
बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की अध्यक्षता बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल कर रहे हैं। जबकि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मुलिक न्यायिक पैलन के सदस्य हैं। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में आयोग का गठन किया गया था। शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार ने इस आयोग का कार्यकाल 8 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया है।