
Bird Flu
नई दिल्ली। भारत में कोरोना संक्रमण के बीच बर्ड फ्लू का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों के पक्षियों में ये संक्रमण दिखा है। राजस्थान में तो कौओं की मौत के बाद उनमें एवियन इंफ्लूएंजा की पुष्टि भी हुई है। सरकार ने इस वायरस को लेकर राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया है।
बर्ड फ्लू एक वायरल इंफेक्शन की तरह है। ये वायरस पक्षियों,जानवरों के साथ-साथ इंसानों के लिए भी बेहद खतरनाक है। बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने वाले जानवर और इंसान इससे आसानी से संक्रमित हो जाते हैं। इस वायरस के संक्रमण से मौत भी हो सकती है।
हालांकि इस बीमारी के ज्यादातर रूप पक्षियों तक ही सीमित हैं। H5N1 एवियन इंफ्लूएंजा इसका सबसे सामान्य वायरस है। जो बेहद संक्रामक है और अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं मिलता ये जानलेवा भी हो सकता है।
कैसे फैलता है बर्ड फ्लू ?
साल 1997 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इसे पहली बार देखा था। उस वक्त इस वायरस से संक्रमित होने वाले में से 60 प्रतिशत लोगों की जान चली गई थी। ये बीमारी हांगकांग के मुर्गीपालन व्यवसाय से जुड़े लोगों में फैली थी। इस बीमारी को उस समय पोल्ट्री फार्म में संक्रमित मुर्गियों से जोड़ा गया था। इसके बाद H5N1 वायरस का पता चला था । वैसे H5N1 प्राकृतिक रूप से पक्षियों में होता है लेकिन ये पालतू मुर्गियों में आसानी से फैल जाता है। ये बीमारी संक्रमित पक्षी के मल, नाक के स्राव, मुंह के लार या आंखों से निकलने वाली पानी के संपर्क में आने से फैलती है। भारत में बर्ड फ्लू से ज्यादा से ज्यादा पक्षियों की ही मौत हुई है।
क्या हैं इस बिमारी के लक्षण?
बर्ड फ्लू के लक्षण में बुखार, नाक बहना, सिरदर्द, मांसपेशियों में जकड़न, दस्त, उबकाई या उल्टी आना, पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द और आंखों का लाल होना जैसे बातें शामिल हैं। इसके साथ ही इसमें सांस लेने में समस्या होने लगती है क्योंकि ये बीमारी भी फेफड़ों पर ज्यादा असर डालती है।इसके लिए भी RT-PCR करवाया जाता है। यही जामच कोरोना वायरस के लिए भी की जा रही है। इसके अलावा भी कई तरह के टेस्ट हैं जिससे इस बीमारी का पता लगाया जाता है।
बर्ड फ्लू का इलाज
अभी तक एच5एन1 का कोई टीकाकरण मौजूद नहीं है। ऐसे में बर्ड फ्लू का इलाज एंटीवायरल ड्रग ओसेल्टामिविर और ज़ानामिविर से किया जाता है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए। हेल्दी डायट लेनी चाहिए जिसमें अधिक से अधिक लिक्विड हो। इस बीमारी में भी सोशल डिस्टेंसिग और क्वारंटीन जरूरी है।
Published on:
04 Jan 2021 05:00 pm
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