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ब्लैक फंगस का बिना आंख निकाले सफल ऑपरेशन, मस्तिष्क तक पहुंची तो खतरे में जान

ब्लैक फंगस बीमारी होने के बाद लोगों के सिर और आंखों में बेइंतहा दर्द होने लगता है। इसके साथ ही बुखार आने लगता है। लोग इसे सामान्य सिर दर्द मानकर लापरवाही बरतते हैं।

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Black fungus

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नई दिल्ली। महामारी कोरोना वायरस के बाद अब दुर्लभ और गंभीर फंगल संक्रमण ब्लैक फंगस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। देशभर में अब तक ब्लैक फंगस से कई मरीजों की मौत हो गई है। वहीं इससे बहुत से लोगों की आंखों की रोशन भी जा चुकी है। यदि यह मस्तिष्क तक पहुंच जाए तो मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है। इसी बीच राहत की खबर आई है। अब ब्लैक फंगस का धीरे धीरे इलाज किया जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में कई मरीजों का सफल ऑपरेशन किया गया है। ऑपरेशन कर के ब्लैक फंगस निकाला जा रहा है और उनकी दोनों आंखें को बचाया जा रहा है। यह बीमारी होने के बाद लोगों के सिर और आंखों में बेइंतहा दर्द होने लगता है। इसके साथ ही बुखार आने लगता है। लोग इसे सामान्य सिर दर्द मानकर लापरवाही बरतते हैं। यह लापरवाही उनको काफी महंगी साबित होती है। बाद में इंफेक्शन सबसे पहले आंखों को प्रभावित करता है।

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ऑपरेशन कर दोनों आंखों को बचाया
उज्जैन के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में हाल ही में एक 30 वर्षीय महिला का ब्लेक फंगस का ऑपरेशन किया गया। वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ.सुधाकर वैद्य की टीम ने महिला का सफल ऑपरेशन कर ब्लेक फंगस निकाला गया। उसकी दोनों आंखें बचा ली। बताया जा रहा है कि इन प्रकार वैद्य की टीम अब तक चार ऑपरेशन कर चुकी है। बताया जा रहा है कि मरीज की कथित रूप में एक आंख प्रभावित हो सकती है। वहीं, रांची में भी एक ऐसा ही सफल ऑपरेशन किया गया।

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समय पर इलाज जरूरी
वहीं ईएनटी सर्जन डॉ.राजेंद्र बंसल के अनुसार यह बीमारी वास्तव में नाक की है। मरीज को दिखना कम देता है या बंद हो जाता है तो वह सीधे ऑख के डॉक्टर के पास जाता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मरीज को सबसे पहले ईएनटी सर्जन के पास जाना चाहिए। समय पर बीमारी का इलाज शुरू हो जाता है तो मरीज को कम खतरा रहता है। इससे ऑपरेशन या ऑंखों को निकालने की जरूरत नहीं पड़ती।

संक्रमित अंग की हडि्डयों में होने लगती है सड़न
डॉ. धीरावाणी का कहना है कि म्यूकर माइकोसिस के कारण संक्रमित अंग की हडि्डयों में सड़न और कम होने लगती है। बीमारी ज्यादा फैलने के बाद संक्रमित हड्डी, आंख, जबड़ा, तालू आदि को ऑपरेशन कर निकालना पड़ता है। कई मरीजों की आंखों को भी निकालना पड़ता है। संक्रमण की शुरुआत में ही उपचार प्रारंभ कर देने से संक्रमण के गंभीर जोखिम से बचा जा सकता है। समय में रहते मरीज डॉक्टर के पास पहुंच जाते है तो बिना ऑपरेशन के ठीक हो जाते है। यह बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है। रोजाना बहुत सारे में इसके मामले में आ रहे है।