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किसान संगठनों के साथ कितनी बैठकें की गईं?
देसाई ने आईएएनएस को बताया कि मैंने तीन साधारण सवाल पूछे थे, जिनमें तीन कृषि अध्यादेशों को आगे बढ़ाने से पहले किसान संगठनों के साथ कितनी बैठकें की गईं, यह कहां पर आयोजित हुई और इसके लिए किसे आमंत्रित किया गया। इसके अलावा अध्यादेशों के बीच मसौदा कानूनों पर चर्चा करने के लिए कितनी बैठकें आयोजित की गईं। आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि हालांकि संबंधित विभाग के सीपीआईओ ने केवल यह कहा, “यह सीपीआईओ इस मामले में कोई रिकॉर्ड नहीं रखता है।
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यह प्रतिक्रिया भ्रामक और अपूर्ण!
देसाई का कहना है कि यह प्रतिक्रिया भ्रामक और अपूर्ण है। इसलिए उन्होंने इसके खिलाफ अपील दायर की है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि परामर्श आयोजित किया गया था या नहीं और उसी के रिकॉर्ड/मिनट संजोकर रखे गए हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि जैसे कि सीपीआईओ के जवाब से प्रतीत होता है, किसानों और अन्य हितधारकों के साथ कोई विचार-विमर्श किए बिना देश की कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए इतने महत्वपूर्ण कानूनों को कैसे पारित किया जा सकता है। दिल्ली और आसपास के राज्यों में वर्तमान में बड़े पैमाने पर किसानों के आंदोलन को देखते हुए, उन्होंने कृषि विभाग से आग्रह किया है कि वे इस मामले में वास्तविक तथ्यों के साथ जल्द से जल्द सार्वजनिक हित में सामने आएं।