
Central Govt Says In Affidavit In Supreme Court, Death With A Diagnosis Of Corona To Considered As Covid Death
नई दिल्ली। कोरोना महामारी की वजह से देश और दुनिया में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करोड़ों लोग संक्रमित हुए हैं। वर्तमान समय में भी कोरोना से हजारों लोग संक्रमित हो रहे हैं और तमाम की मौत हो रही है।
लेकिन कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। सरकार जो आंकड़े पेश कर रही है उस पर संदेह जाहिर किया जा रहा है और ये कहा जा रहा है कि दर्ज आंकड़ों से तीन गुना तक लोगों की मौत हुई है। हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई तथ्यात्मक आंकड़े सामने नहीं आए हैं।
इस बीच कोरोना से हुई मौत को लेकर उठी मुआवजे की मांग पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें दो सबसे अहम बातें कही गई हैं। पहली बात कि सरकार ने कोर्ट से कहा है कि मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दे सकते हैं, क्योंकि ऐसा करने पर SDRF का फंड खत्म होने की आशंका है। दूसरी सबसे खास बात कि जितने भी लोगों की मौत कोरोना से हुई है सबको कोविड डेथ माना जाएगा। अब इस मामले में सोमवार (21 जून) को अगली सुनवाई होगी।
कब माना जाएगा कोविड डेथ?
अब सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कोरोना काल में हो रही मौत पर किसे कोविड डेथ माना जाएगा और किसे नहीं? सरकार ने अब कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया है कि यदि किसी व्यक्ति को पहले से कोई गंभीर बीमारी थी और इस बीच वह कोरोना संक्रमित हो गया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई, तो ऐसे में उसे कोविड डेथ नहीं माना जाएगा।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि यदि स्पष्ट तौर पर डॉक्टर्स ये बताते हैं कि व्यक्ति की मौत की वजह कोरोना नहीं कुछ और है तो उसे कोविड डेथ नहीं माना जाएगा। बता दें कि सरकार ने यह जवाब एक सवाल के संदर्भ में दिया है।
चूंकि कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि कोरोना से मौत होने पर भी डेथ सर्टिफिकेट पर हार्ट फेल या फेफड़ों में समस्या क्यों लिखा गया है? सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब मृत्यु प्रमाणपत्रों में मौत की वजह के तौर पर COVID के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। यदि कोई डॉक्टर या चिकित्सा पदाधिकारी कोरोना से हुई मौतों को प्रमाणित करने में विफल रहता है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
Updated on:
20 Jun 2021 07:48 pm
Published on:
20 Jun 2021 07:14 pm
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