
Central Vista of national importance, Delhi HC junks plea against it
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कोविड मामलों में हालिया उछाल की पृष्ठभूमि में सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के संबंध में चल रही निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व की एक आवश्यक परियोजना है। जनता इस परियोजना में बहुत रुचि रखती है। अदालत ने याचिकाकतार्ओं पर एक लाख रुपए का जुमार्ना भी लगाया, यह देखते हुए कि याचिका एक वास्तविक जनहित याचिका नहीं है, बल्कि एक 'प्रेरित' याचिका है।
निर्माण कार्य रोकने का कोई कारण नहीं
कोर्ट ने कहा कि निर्माण समय पर पूरा करना होगा। अदालत ने कहा कि एक बार जब वर्कर साइट पर रह जाते हैं और सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं और कोविड-19 व्यवहार का पालन किया जाता है, तो परियोजना को रोकने का कोई कारण नहीं है। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोप लगाया था कि याचिका काम को रोकने के लिए एक 'मुखौटा' है। शापूरजी पलोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, जिसे टेंडर दिया गया है, ने भी जनहित याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इसमें वास्तविक कमी है, और निर्माण फर्म अपने कर्मचारियों की देखभाल कर रही है।
परियोजना पर रोक लगाने की मांग की थी
याचिकाकतार्ओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने प्रस्तुत किया था कि याचिकाकर्ता केवल साइट पर श्रमिकों की सुरक्षा में रुचि रखते है और इस परियोजना की तुलना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन कंसंट्रेटर शिविर ऑशविट्ज से की थी। याचिकाकर्ताओं, अन्या मल्होत्रा और सोहेल हाशमी ने राजधानी में कोविड-19 की स्थिति और संभावित सुपर स्प्रेडर के रूप में निर्माण गतिविधियों से उत्पन्न खतरे की पृष्ठभूमि में सेंट्रल विस्टा की निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को पहले ही परियोजना को हरी झंडी दे दी थी, क्योंकि उसने परियोजना के लिए भूमि उपयोग और पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
Updated on:
31 May 2021 01:52 pm
Published on:
31 May 2021 01:47 pm
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