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Chamki Bukhar: बिहार में अब तक 138 बच्चों की मौत, 372 अब भी गंभीर

Chamki Bukhar से मुजफ्फरपुर में अब तक 112 बच्चों की मौत तीन दिनों में 45 मृत बच्चों में 27 बच्चियां शामिल सुप्रीम कोर्ट पहुंचा Chamki Bukhar का मामला

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Chamki Bukhar: बिहार में अब तक 138 बच्चों की मौत, मरने वालों में 85 बच्चियां

नई दिल्ली। 'सुशासन बाबू' (नीतीश कुमार) के राज्य बिहार में चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफ्लाइटिस मौत का तांडव कर रहा है। इस बीमारी से पूरे प्रदेश में अब तक 138 बच्चों की मौत हो गई हैं, जिनमें अकेले मुजफ्फपुर जिले में 112 बच्चों की मौत हुई हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि मरने वालों में 80 फीसदी बच्चियां हैं। हालांकि, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 129 बच्चों की मौत हुई हैं, इनमें 85 बच्चियां हैं। पिछले तीन दिनों के आंकड़ा को देखें तो 45 मृत बच्चों में 27 बच्चियां शामिल थीं।

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एसकेएमसीएच के अधीक्षक सुनील कुमार शाही का कहना है कि अब भी 372 बच्चे गंभीर हैं, जिनका इलाज चल रहा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि 57 बच्चों को जल्द ही छोड़ दिया जाएगा।

सबसे ज्यादा SKMCH में मौत

चमकी बुखार से सबसे ज्यादा प्रभावित मुजफ्फरपुर जिला है। इस खतरनाक बीमारी से जिले में अब तक 112 बच्चों की मौत हो चुकी है। जिनमें SKMCH में 93 और केजरीवाल हॉस्पिटल में 19 बच्चों की मौत हुई हैं। इसके अलावा सूबे के कई जिलों में यह बीमारी धीरे-धीरे अपना पांव पसारता जा रहा है।

मोतिहारी, समस्तीपुर, सीतमाढ़ी, सीवान, मधेपुरा बांका और अररिया जिले में भी चमकी से कुछ बच्चों की मौत हो गई है। आलम ये है कि इस बीमारी का दायरा अब पूरे प्रदेश में बढ़ता जा रहा है।

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बेबस सरकार, डॉक्टर्स लाचार

चमकी बीमारी से अब भी चार सौ से ज्यादा बच्चे प्रभावित हैं। लेकिन, इस बीमारी के आगे सरकार बेबस नजर आ रही है। वहीं, डॉक्टर्स लाचार दिख रहे हैं। लाख कोशिशों के बावजूद मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को जब नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर का दौरा किया तो लोगों में काफी आक्रोश था। नीतीश कुमार के सामने ही कुछ बच्चों ने दम तोड़ दिया।

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अपने दौरे के दौरान नीतीश कुमार ने अस्पताल अधीक्षक से पूछा कि इस बीमारी से बच्चियां ज्यादा पीड़ित हो रहीं या बच्चे। उन्होंने इस बाबत संख्या का डाटा बनाने का भी निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि बच्चियां अधिक बीमार हो रही हैं तो यह उपेक्षा का मामला हो सकता है।

अब तक के आंकड़ों के मुताबिक, बच्चियां इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं। यह विचार करने का मामला है कि इस बार बच्चियों की मौत अधिक हुई है। हालांकि, सरकार भी इस पर गंभीरता दिखा रही है। लेकिन, सवाल यह है कि मौत का सिलसिला आखिर कब थमेगा? चाहे वह मौत बच्चों की हो या बच्चियों की।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा चमकी बुखार का मामला

चमकी बुखार का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। वकील मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी ने इस बीमारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। इस याचिक में आवश्यक चिकित्सा पेशेवरों की संख्या की बढ़ाने, 500 आईसीयू की व्यवस्था करने, 100 मोबाइल आईसीयू की व्यवस्था करने और मेडिकल बोर्ड स्थापित करने की मांग की गई है।

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सांसद के अजीबो-गरीब बयान

मुजफ्फरपुर से बीजेपी सांसद अजय निषाद ने इस हाहाकर पर अजीबो-गरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के लिए 4G जिम्मेदार है। 4G यानी गरीबी, गंदगी, गर्मी और गांव है। वहीं, जेडीयू के सांसद दिनेश चंद्र यादव का कहना है कि बारिश होते ही यह बीमारी खत्म हो जाएगी।

सुलगता सवाल?

अब जरा सोचिए, विगत कई सालों से इस बीमारी ने बिहार में तांडव मचा रखा है। इस बीमारी से हर साल कई बच्चों की मौत हो जाती है। न तो सरकार इसे लेकर कोई तैयारी कर रही और न ही मेडिकल प्रशासन? नेता दौरा करते हैं, विवादित बयान देते हैं और फिर एसी गाड़ी में बैठकर निकल जाते हैं। लेकिन, उन परिवारों पर क्या बितता होगा जिनके आंगने वीरान हो रहे हैं। कई माताओं की गोद सूनी हो रही है। बड़ा सवाल, क्या हर साल ऐसे ही मौत का तांडव चलता रहेगा और सब यूं ही हाथ पर हाथ धड़े बैठे रहेंगे?