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चंद्रयान 2: आर्बिटर से मिली तस्वीरों की जांच शुरू, लक्ष्य से 600 मीटर दूर विक्रम लैंडर

चंद्रयान 2: आर्बिटर से ली गई तस्वीर का विश्लेषण शुरू इसरो करेगा कई अहम खुलासा

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chandrayaan 2

नई दिल्ली। मिशन चंद्रयान 2 को लेकर एक बार फिर उम्मीदें बढ़ गई हैं। चंद्रमा पर दिन की शुरुआत हो चुकी है और विक्रम लैंडर से दोबार संपर्क स्थापित करने की कोशिश जारी है। वहीं, चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर ने चंद्रमा की कुछ तस्वीरें भेजी हैं जिनकी जांच अब शुरू हो गई है। इसरो के वैज्ञानिक अब उन तस्वीरों का विश्लेषण कर रहे हैं। बतया जा रहा है कि इन तस्वीरों में चांद की सतह पर छोटे और बड़े गड्ढे दिखाई दे रहे हैं।

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इसरो का कहना है कि जिस वक्त ऑर्बिटर ने इन तस्वीरों को अपने हाई रिजोल्यूशन कैमरे में कैद किया, चांद से उसकी दूरी करीब 100 किलोमीटर थी। तस्वीरों में चांद के दक्षिणी ध्रुव की दुर्लभ तस्वीरों को दिखाया गया है। इसरो द्वारा जारी की गई चांद की सतह की इन तस्वीरों में छोटे-बड़े तमाम गड्ढों को दिखाया गया है। ऑर्बिटर द्वारा ये तस्वीरें 5 सितंबर 2019 को खींची गईं थीं। इसरो के अनुसार, इस मिशन में पहली बार OHRC जैसी हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसकी मदद से चांद की सतह की अब तक की सबसे हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें कैद की गई हैं।

गौरतलब है कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के अलावा नासा के लूनर यान ने भी उस जगह की तस्वीरें खींची हैं, जहां पर लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग होनी थी। लेकिन, लूनर यान के तस्वीरें खीचने से पहले चांद के उस हिस्से पर अंधेरा छाने लगा था। इस वजह से लूनर ने उस जगह की तस्वीरें तो ले लीं, लेकिन वह लैंडर विक्रम की फोटो खींचने में असफल रहा।

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गौरतलब है कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत भारत को चांद की दक्षिणी सतह पर लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग करानी थी। लेकिन, विक्रम की हार्ड लैंडिंग अपने निर्धारित स्थान से करीब 600 मीटर दूर पर हुई। इसके बाद लैंडर से न तो संपर्क स्थापित किया जा सका और न ही उसने वहां कुछ काम किया। हालांकि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अब भी अच्छे से काम कर रहा है और चांद की कक्षा में परिक्रमा करते हुए उसकी हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें अपने कैमरे में कैद कर इसरो को भेज रहा है।