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रिपोर्ट: चांद पर इस लिए नहीं मिटते इंसानों के कदमों के निशान, जाने क्या है रहस्य

ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) द्वारा ली गईं चंद्रमा की सतह की तस्वीरें जारी ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई से ली गईं ये तस्वीरें इसरो ने कहा कि तस्वीरों में चंद्रमा पर दिख रहे हैं बड़े पत्थर और छोटे गड्ढे

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Mohit sharma

Oct 05, 2019

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नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पर स्थित ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरा (ओएचआरसी) द्वारा ली गईं चंद्रमा की सतह की तस्वीरें जारी की हैं।

इसरो के अनुसार, ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई से ली गईं ये तस्वीरें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित बोगस्लावस्की ई क्रेटर और उसके आस-पास की हैं।

इसका व्यास 14 किलोमीटर और गहराई तीन किलोमीटर है। इसरो ने कहा कि तस्वीरों में चंद्रमा पर बड़े पत्थर और छोटे गड्ढे दिख रहे हैं।

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वहीं, दूसरी और चांद से जुड़ी सबसे रोचक बात यह है कि चांद पर कुछ कदमों के निशान पाए गए हैं, जो लगभग 50 साल से जस के तस हैं।

सवाल यह है कि चांद की सतह पर आखिर इन कदमों के निशान मिटते क्यों नहीं हैं? आपको बता दें कि चांद पर पहली बार कदम रखने वाले अंतरिक्षयात्रियों में नील आर्मस्ट्रांग हैं का नाम आता है।

जबकि ऐसा करने वाले यूजीन सेरनन आखिरी व्यक्ति थे। इन अंतरिक्ष यात्रियों ने 1972 में चांद की सतह पर अपने कदमों के निशान छोड़े थे।

अब जबकि इस बात को अब 46 साल लंबा समय हो चुका है, बावजूद वो पदचिन्ह आज भी ज्यों कि त्यों हैं।

एक और वैज्ञानिक मार्क रॉबिन्सन कहते हैं कि चंद्रमा पर क्योंकि वायुमंडल नहीं है, इसलिए वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के कदमों के निशाना लाखों सालों तक बने रह सकते हैं।

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बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क रॉबिन्सन का कहना है कि चांद मिट्टी की चट्टानों और धूल की एक मोटी परत से ढंका हुआ है।

यही वजह है कि चांद की परत में मिट्टी के कण पूरी तरह से मिश्रित हो चुके हैं। यही वजह है कि चांद की सतह पर से कदमों के निशाने लंबे समय के लिए बने रहते हैं।

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