
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ( ISRO ) को बड़ी कामयाबी मिलने वाली है। दरअसल शनिवार से एक बार फिर चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अपने मिशन में जुट जाएगा। आपको बता दें कि अब तक चांद पर घनी काली रात चल रही थी, लेकिन अब यहां दिन निकलने लगा है। यानी चांद पर उम्मीद की रोशनी लौट रही है।
चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एक बार फिर अपने मिशन में जुटने जा रहा है। चांद पर अब फिर दिन निकलेगा वो भी धरती के 14 दिन के बराबर होगा।
ऐसे में ऑर्बिटर लैंडर विक्रम को संपर्क साधने के लिए जरूरी तस्वीरें इसरो को भेजना शुरू कर देगा।
इससे पहले इसरो ने अपने ऑर्बिटर को लेकर बड़ी जानकारी साझा की।
इस जानकारी के तहत इसरो ने बताया कि ऑर्बिटर बिलकुल ठीक हालात में काम कर रहा है।
जो लैंडर विक्रम से संपर्क करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर से चांद की सतह के फिजिकल ऑबजर्वेशन डाटा नहीं मिलने के कारण इसरो ने कहा है कि सोडियम, कैल्शियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और लोहे जैसे तत्वों का पता लगाने के लिए ऑर्बिटर को जैसे काम करना चाहिए, वो वैसे ही काम कर रहा है।
ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरा चांद का चक्कर लगाते हुए पृथ्वी पर इसरो को बेहतर तस्वीरें भेजता रहता है। आपको बता दें कि यह पैंक्रोमैटिक बैंड (450-800 एनएम) पर संचालित होता है।
ऑर्बिटर के पास है ये काम
22 जुलाई को लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 में लैंडर और रोवर को चांद पर उतरना था जबकि ऑर्बिटर के हिस्से में चांद की परिक्रमा कर जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी थी। 7 सितंबर को लैंडर चांद की सतह को छूने से ठीक पहले करीब 2.1 किमी ऊपर इसरो के रेडार से गायब हो गया और अब तक उससे संपर्क स्थापित नहीं हो सका है।
0.3 मीटर तक तस्वीर आएंगी सामने
हालांकि ऑर्बिटर इस समय चांद की सतह से करीब 100 किमी के ऊपर से परिक्रमा कर रहा है। इसमें एक हाई-रेजॉलूशन कैमरा है जो चांद की सतह पर 0.3 मीटर तक की तस्वीर ले सकता है। ऑर्बिटर से चंद्रयान-1 की तुलना में शानदार परिणाम मिल रहे हैं।
Published on:
05 Oct 2019 12:31 pm
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