
चीन ने पहली बार गलवान हिंसक झड़प में अपने सैनिकों के मौत की बात स्वीकार की।
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख के गलवान वैली हिंसा ( Galvan Valley Violence ) को लेकर जो बात पूरी दुनिया को पता है उसे अभी तक चीन छुपाता रहा। लेकिन हिंसक झड़प के 10 दिनों बाद उसने खुद इस बात से पर्दा हटा दिया। पहली बार चीन की सरकार ( Government of China ) ने स्वीकार किया कि गलवान घाटी हिंसक झड़प में पीएलए के जवानों की भी मौतें हुई हैं।
बता दें कि 15 जून को गलवान घाटी ( Galwan Valley ) में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। लेकिन चीन अपनी सैनिकों की मौत की बात अभी तक छुपाए बैठा था। जबकि इस बात की जानकारी पूरी दुनिया को थी।
राजदूत सन वेईडॉन्ग मानी मौत की बात
इस घटना के 10 दिनों की चुप्पी के बाद पहली बार भारत में चीन के राजदूत सन वेईडॉन्ग ( China Ambassador Sun Weidong ) ने माना कि हिंसक झड़प में चीन के सैनिकों की भी मौतें हुई हैं। लेकिन चीन की हेकड़ी देखिए, उसने इस बार भी अपने सैनिकों के मौतों की संख्या का खुलासा नहीं किया। एक समाचार एजेंसी दिए एक इंटरव्यू में वेइडॉन्ग ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच भीषण हिंसक संघर्ष हुआ। इस झड़प में हमारे सैनिक भी मारे गए। इससे पहले चीन ये नहीं बताता था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) पर किस तरफ मौतें हुई हैं।
पीएलए के जवानों ( PLA Soldier ) की मौतों के बारे में दावा किया जा रहा है गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में चीन के 45 से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई, लेकिन चीन की तरफ से अब भी संख्या को लेकर अधिकारिक बयान नहीं आया है।
आंकड़े को छुपाना चीन की पुरानी आदत
चीन कभी किसी भी युद्ध में मारे गए सैनिकों की संख्या के बारे में नहीं बताता है। 1962 के युद्ध में कितने लोगों की मौत हुई थी। इसकी जानकारी चीन ने 1990 के बाद दी थी। कहा जा रहा है कि इस बार चीन के जवान मारे गए लेकिन लेकिन उनको चीनी सरकार ( China Government ) की ओर से सम्मान न देने से वहां के नागरिक बेहद नाराज हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने दी श्रद्धांजलि
राजदूत के कबूलनामे से पहले चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ( Global Times ) के संपादक हू जीजीन ने पीएलए अधिकारियों और सैनिकों को श्रद्धांजलि ( Pay Tribute ) देते हुए लिखा था कि मेरा मानना है कि मृतकों का सेना में सर्वोच्च सम्मान के साथ व्यवहार किया गया है और सही समय पर इसकी सूचना समाज को दी जाएगी। ताकि नायकों को सम्मानित किया जा सके। साथ ही उन्हें याद किया जा सके।
शुक्रवार को भारत में चीन के राजदूत सन वेईडॉन्ग ( Chinese Ambassador Sun Weidong ) ने पहली बार एक साक्षात्कार में बताया था कि दोनों देश के सैनिकों के बीच पहली बार आमना-सामना ( faceoff ) मई के पहले सप्ताह में गालवान घाटी ( Galwan Valley ) में हुई। फेसऑफ उस समय हुई जब पैंगॉन्ग त्सो के पास दोनों देश की सेनाएं आमने-सामने आ गई। गालवान घाटी में हिंसक झड़प ( Violent skirmish ) की घटना 15 जून की है। इस बात का उल्लेख चीनी दूतावास के अधिकारियों ने अपने एक पोस्ट में भी की।
Updated on:
27 Jun 2020 11:37 am
Published on:
27 Jun 2020 11:30 am
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