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जनता की आवाज को सत्ताधारियों तक पहुंचा रहे राहुल गांधी, क्या देश उन्हें सुनना चाहता है?

Congress Leader Rahul Gandhi ने जाना Migrant Labour का दर्द लगातार जनता की आवाज को Modi Govt तक पहुंचा रहे राहुल Coronavirus संकट के बीच आर्थिक संकट, आरोग्य सेतु एप की सुरक्षा से लेकर तेल की कीमतों में गिरावट तक जनता से जुड़े मुद्दों को सत्ताधारियों तक पहुंचाया

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Congress Leader Rahul Gandhi

कांग्रेस नेता राहुल गांधी

नई दिल्ली। देशभर में चल रहे कोरोना संकट ( coronavirus ) के बीच एक बार फिर कांग्रेस ( Congress ) के कद्दावर नेता राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) ने आम लोगों की आवाज को बुलंद किया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार देश की जनता के मुद्दों, परेशानियों और मजबूरियों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार ( Modi Govt ) पर हमला करते आ रहे हैं।

इसी कड़ी में एक बार फिर उन्होंने देश की रीढ़ कहे जाने वाले मजदूरों ( Labour ) की परेशानियों को उनके बीच रहकर सुना और उनकी आवाज को सत्ताधारियों तक पहुंचाने की कोशिश की है। लेकिन क्या देश की जनता भी राहुल गांधी को सुनना चाहती है? क्या पीएम मोदी ( PM Modi ) के एक बार कहने पर ताली-थाली बजाने वाले देशवासी राहुल गांधी को भी उतनी ही गंभीरता से समझते हैं।

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देश इस वक्त लॉकडाउन ( Lockdown ) के चौथे चरण से गुजर रहा है। लेकिन देश का एक बड़ा वर्ग प्रवासी मजदूर मन बना चुका है कि आने वाले दिनों में इस संकट से उसे निजात मिलेगी। यही वजह है कि बड़ी संख्या में मजदूर घर वापसी कर रहे हैं। उनके इसी दर्द को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सुना।

ये पहली बार नहीं है कि राहुल गांधी जनता के दर्द या परेशानी को सुना या समझा हो, वे लगातार लोगों की मुश्किलों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं। इसके लिए राहुल गांधी केंद्र सरकार को सुझाव भी देते रहे हैं।

कोरोना संकट के बीच राहुल गांधी ने समय-समय पर जनता से जुड़े मुद्दों को सरकार के कानों तक पहुंचाने की कोशिश की है। फिर चाहे वो देश में बढ़ रहा आर्थिक संकट हो कोरोना काल में आरोग्य सेतु एप को लेकर उठी आशंकाएं हो या फिर प्रवासी मजदूरों की लाचारी। हर उस सच से राहुल ने पर्दा हटाया जो जनता से जुड़ा था।

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नौकरी और आर्थिक संकट का मुद्दा
कोरोना वायरस के संकट काल में अर्थव्यवस्था के सामने आ रही चुनौतियों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने rbi के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से चर्चा की। इस चर्चा में राघुराम राजन ने लोअर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास के लिए नौकरी के संकट से पर्दा उठाया। राहुल गांधी ने आर्थिक मोर्चे पर विफल मोदी सरकार के कानों तक इस संकट को पहुंचाया।

तेल कीमतों में गिरावट का फायदा जनता को नहीं
दुनिया के ज्यादातर देशों में लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियों बंद हैं। इसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ा। मांग कम होने से कच्चे तेल के दमों में गिरावट आई। लेकिन इसका फायदा देश की जनता को नहीं मिला। राहुल गांधी ने जनता से जुड़े सरोकार को भी मोदी सरकार के कानों तक बुलंद आवाज पहुंचाया।

आरोग्य सेतु एप की सुरक्षा पर सवाल
राहुल गांधी ने कोरोना एप ओरोग्य सेतु (Aarogya Setu) पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा है कि इस एप के डाउनलोड करने पर डेटा सिक्योरिटी और निजता के हनन का जोखिम है। उन्होंने कहा टेक्नालॉजी हमें महफूज रहने में मदद कर सकती है लेकिन डर का फायदा उठाकर लोगों को इनकी इजाजत के बगैर ट्रैक नहीं किया जा सकता।

हालांकि बीजेपी (BJP) ने आरोग्य सेतु एप को महफूज बताते हुए राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया।

निशाने पर राहुल गांधी
जनता के मुद्दे उठाने के कारण राहुल गांधी सत्ताधारी भाजपा के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों और लोगों के निशाने पर भी आए। प्रवासी मजदूरों से बैठकर उनकी समस्या सुनने के मामले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने इस मुलाकात को ड्रामा करार दिया।

उन्होंने कहा कि राहुल ने मजदूरों का समय बर्बाद किया। उनकी इतना चिंता थी तो उनके सूटकेस लेकर साथ चलना चाहिए था।

वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस पर मजदूरों के साथ घिनौनी राजनीति का आरोप लगाया।

यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो लगातार जनता से जुड़े मुद्दों को सत्ता के गलियारों और सत्ताधारियों तक पहुंचाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं, लेकिन क्या जनता भी राहुल की बातों को अपने हितों से जोड़कर देख रही है, क्या जनता उनके कथन को करनी में बदलना चाहती है, क्या देश का बड़ा तबका पीएम मोदी की तरह के राहुल के एक आह्वान पर कुछ भी करने तो तैयार है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब देश के राजनीतिक भविष्य के साथ उसके 21वीं सदी के भारत से जुड़े हैं।


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