
नई दिल्ली। भारतीय सेना ( Indian Army ) ने कोरोना कहर को देखते हुए आगे बढ़कर मोर्चा संभालने की तैयारी शुरू कर दी है। देश का इतिहास बताता है कि जरूरत पड़ने पर सेना ने अपनी क्षमता के बल पर देश को कई बार संकट से बाहर निकालने का काम किया है। हालांकि कोरोना का कहर सैन्य समस्या नहीं है, लेकिन हमारी सेना कई मौकों पर नागरिक सेवा के क्षेत्र में मिसाल पेश करने में पीछे नहीं रही है।
इस बार कोरोना संकट ( Corona Crisis ) और लॉकडाउन ( Lockdown ) को देखते हुए सेना ने ऑपरेशन नमस्ते ( Operation Namaste ) लॉन्च किया है। इसका मकसद लोगों को कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव से बचाना है।
क्या है ऑपरेशन नमस्ते?
ऑपरेशन नमस्ते कोरोना वायरस ( coronavirus ) के खिलाफ सेना की एक महत्वाकांक्षी अभियान है। सेना ने साफ कर दिया है कि देश को जरूरत पड़ी तो कोरोना संकट से निजात दिलाने में भी सेना अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है। इससे पहले दिसंबर, 2001 में संसद पर हमले में पाकिस्तान के हाथ होने के कुछ अहम सबूत मिले थे। तब भारतीय सेना ने ऑपरेशन पराक्रम चलाया था। आर्मी चीफ मुकुंद नरवणे ने बताया कि तब भी सेना के जवान लंबे वक्त तक छुट्टियों पर नहीं गए थे।
सेना पहले भी कर चुकी है सफल ऑपरेशन नेतृत्व
16 जून, 2013 को उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर में भयंकर बाढ़ आई थी। इस प्राकृतिक आपदा में करीब 6 हजार लोगों की जान चली गई थी। लाखों लोग बेघर हो गए और कई लोग अपनों से बिछड़ गए। सेना की सेंट्रल कमांड ने 19 जून को पहले ऑपरेशन गंगा प्रहार लॉन्च किया था। दो दिन बाद इसका नाम बदलकर ऑपरेशन सूर्य होप कर दिया गया। इस ऑपरेशन में इंडियन नेवी भी शामिल थी।
सेना प्रमुख के मुताबिक भारतीय सेना की खूबी है कि हम अपने सांगठनिक ढांचे और ट्रेनिंग की बदौलत तरह-तरह की आपातकालीन परिस्थितियों से निपट लेते हैं। हम कोविड-19 ( COVID19 )से निपटने में अपनी क्षमता का इस्तेमाल करेंगे।
क्या है सेना की तैयारी
सेना प्रमुख नरवणे ( Army Chief MM Naravane ) ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सरकार और सामान्य प्रशासन की मदद करना हमारा दायित्व है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सेना की ओर से देशभर में अब तक 8 क्वारनटाइन सेंटर्स स्थापित किए जा चुके हैं। सेना की ओर से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है। इसके लिए सेना के साउर्थन कमांड, ईस्टर्न कमांड, वेस्टर्न कमांड, सेंट्रल कमांड, नॉदर्न कमांड, साउथ वेस्टर्न कमांड और दिल्ली हेडक्वॉर्टर में कोरोना हेल्प लाइन सेंटर्स बनाए हैं। सेना इन सेंटर्स के जरिए कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों की मदद करने का काम करेगी।
कोरोना वायरस से पार पाने के लिए सेना आम नागरिकों को इस संकट से जुड़ी जानकारियां देने का काम करेगी। निगरानी और आइसोलेशन की क्षमता बढ़ाई जा रही है। सभी आर्मी हॉस्पिटलों को 6 घंटों की सूचना पर सिर्फ कोविड-19 मरीजों के लिए 45 बेड का आइसोलेशन वार्ड और 10 बेड का आइसीयू वॉर्ड तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
दो मोर्चे पर काम करेगी सेना
इस संकट को मात देने के लिए सेना को दो मोर्चों पर काम करने होंगे। पहला, 13 लाख जवानों को संक्रमण से बचाना और दूसरा संक्रमित लोगों को क्वारनटाइन कर इलाज सुनिश्चित करना। दोनों मोर्चों पर काम करने के लिए सेना प्रमुख ने सीमा पर तैनात जवानों को आश्वासन दिया कि महामारी के समय में उनके परिवारों का ध्यान रखा जाएगा।
सेना के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि सेना की पूरी योजना युद्धस्त पर तैयारी की बनाई है। 24 घंटे के नोटिस पर हम कहीं भी पहुंच जाएंगे। 4 से 6 घंटे के बीच सुसज्जित अस्पताल समेत पूरी व्यवस्था जमीन पर उतार देंगे। 30 घंटे में सेना 8 लाख मरीज संभालने के लिए मॉड्यूलर अस्पताल बना सकती है। वहां सर्जरी तक की सुविधा होगी। अभी सेना के 6 क्वारनटाइन सेंटर्स में 1,059 लोगों को रखा है।
पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट
रक्षा सेना मेडिकल सेवा के महानिदेशक और लेफ्टिनेंट जनरल अनूप बनर्जी का कहना है कि सेना को इस महामारी से निपटने में लगाया जाता है तो हमारी पूरी तैयारी है। सेना के पास पर्याप्त पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट हैं। ऐसे और भी उपकरण खरीदने की योजना तैयार है। तीनों सेनाएं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तहत एकजुट होकर वायरस से लड़ने के लिए समन्वय कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि सेना, नौसेना और वायुसेना के 5 अस्पतालों में कोरोना की जांच हो सकती है। 6 अन्य अस्पताल इस सुविधा से लैस किए जा रहे हैं। वायुसेना के विमानों से दूरदराज के स्थानों से जांच नमूने लैब तक पहुंचाए जा रहे हैं। जबकि तटीय इलाकों खासकर केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के तटवर्ती इलाकों में नौसेना जुटी हुई है।
Updated on:
29 Mar 2020 07:44 am
Published on:
28 Mar 2020 10:48 pm
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