इस काम में महिलाओं के स्वंय सहायता समूह ( SHG ) ने भी साढ़े सात करोड़ से अधिक साधारण मास्क बनाकर इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाई है।
Super Cyclone : आज बंगाल की खाड़ी में तबाही मचा सकता है AMPHAN भारत में एन-95 मास्क के उत्पादन को बढ़ाने और निर्माताओं व विक्रेता के बीच तालमेल बनाने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने एक वेबसाइट तैयार की है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में इस वक्त 6 कंपनियां भारतीय मानक ब्यूरो से सत्यापित मास्क बना रही हैं। इन कंपनियों की क्षमता प्रतिदिन 1,56,965 मास्क बनाने की है। यह कंपनियां क्षमता से अधिक दो लाख 31 हजार मास्क रोज बना रही हैं।
इस मामले में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह भी कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। महिलाओं ने 7 करोड़ 47 लाख मास्क तैयार किए हैं। सबसे अधिक मास्क आंध्र प्रदेश की महिलाओं ने किए हैं। इन्होंने 2 करोड़ 81 लाख मास्क बनाए हैं। सबसे कम अंडमान निकोबार में महिलाओं ने सिर्फ 5500 मास्क बनाए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के 52 सहायता समूहों ने 30 लाख 36 हजार मास्क बनाए हैं। बिहार में 38 समूहों ने 18 लाख, झारखंड में 24 स्वयं सहायता समूहों ने 9 लाख 33 हजार और उत्तराखंड में महिलाओं के 13 एसएचजी ने साढ़े आठ लाख मास्क बनाए हैं।
उपभोक्ता मंत्रालय ( Ministry of Consumer ) की वेबसाइट पर मौजूद यह सभी आंकड़े 29 अप्रैल तक के हैं। ऐसे में पिछले बीस दिन के अंदर भी करोड़ों की संख्या में मास्क बनाए गए हैं।
दिल्ली से लौटे प्रवासी श्रमिकों ने बिहार सरकार की बढ़ाई चिंता, 4 में से एक कोरोना पॉजिटिव एन-95 मास्क के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो ने भी टेस्टिंग की प्रक्रिया में बदलाव किया है। एन-95 मास्क बनाने की इच्छुक कंपनियां किसी भी बीआईएस लैब में अपने उत्पाद की टेस्टिंग करा सकती है। इसके साथ जिन संगठनों के पास ऐसे उत्पादों की टेस्टिंग करने का बीआईएस का लाइसेंस है, वहां भी टेस्टिंग कराई जा सकती है।