
...फिर दोहराया इतिहास, 48 साल पहले भी थम गए थे ट्रेनों के पहिए
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस ( Coronavirus in india ) तेजी से पांव पसारता जा रहा है। वहीं, केंद्र सरकार ( Modi Goverment ) इस भयावह मामले की गंभीरता को समझते हुए एक के बाद एक सख्त कदम उठा रही है।
22 मार्च को देश व्यापी 'जनता कर्फ्यू' ( Janta curfew ) के आहृवान के बाद अब भारत सरकार की ओर से एक और बड़ा फैसला लिया गया है।
दरअसल, केंद्रीय रेल मंत्रालय ( Railway Ministry ) ने 31 मार्च की आधी रात तक कोई भी यात्री ट्रेन न चलाने का फैसला लिया है। इस फैसले के पीछे रेलवे मंत्रालय का मकसद सोशल डिस्टैंसिंग ( Social distancing ) को रोकना है।
हालांकि इस दौरान मालगाड़ियों के संचालन में छूट दी गई है।
कोरोना वायरस को खतरे को ध्यान में रखते हुए उठाए जा रहे कदमों ने देश में लॉकडाउन जैसे हालात पैदा कर दिए हैं।
ऐसे में रेलवे के इस कदम ने 1974 के उस फैसले की याद दिला दी है, जब जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में हड़ताल की गई थी।
इस दौरान देश की आर्थिक नगरी मुंबई समेत समूचा भारत थम सा गया था। आपको बता दें कि यह हड़ताल तब की गई, जब तीन वेतन आयोग लागू होने के बाद भी रेल कर्मियों के वेतन में कोई इजाफा नहीं हुआ था।
तभी नवंबर 1973 में जॉर्ज फर्नांडिस ऑल इंडिया रेलवे मैन्स फेडरेशन के अध्यक्ष चुने गए थे। जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में ही 8 मई 1974 को रेल कर्मियों ने मुंबई में हड़ताल का ऐलान कर दिया।
इस हड़ताल का असर इतना व्यापक था कि इससे मुंबई ही बल्कि पूरा देश ही थम गया।
जानकारी के अनुसार हड़ताल में देश भर के रेल कर्मचारी इकठ्ठा हुअए और करीब 15 लाख लोगों ने हिस्सा लिया। हालांकि बाद में कई यूनियनों ने भी हड़ताल को अपना समर्थन दे दिया।
जिसकी वजह से इस हड़ताल ने एक विशाल रूप धारण कर लिया। इसी हड़ताल ने जॉर्ज फर्नांडिस को एक फायर ब्रांड नेता बना दिया।
Updated on:
22 Mar 2020 06:39 pm
Published on:
22 Mar 2020 06:01 pm
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