
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को मुर्गियों को पिंजड़े में रखे जाने को लेकर आदेश दिया है। अदालत ने कहा, मुर्गियों के पिंजड़े इतने बड़े होने चाहिए कि वे आराम से चल फिर सकें।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की पीठ ने यह टिप्पणी की। पीठ उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें कहा गया है कि अंडे देने वाली मुर्गियों को छोटे पिंजड़ों में रखना 'अत्यंत क्रूरता' है। कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय के सचिव को मुर्गियों के प्रजनन और आवागमन पर दिशा-निर्देश तय करने के लिए एक समिति गठित करने और उसकी अध्यक्षता करने का निर्देश दिया।
इस समिति को 5 फरवरी 2019 को अगली सुनवाई पर रिपोर्ट सौंपनी होगी। अदालत ने कहा कि कोई फैसला किए जाने तक तारों वाले छोटे पिंजड़ों को इस्तेमाल की अनुमति न दी जाए। इसके बाद अदालत ने साफ कहा कि बड़े पिंजड़ों का इस्तेमाल करो ताकि वो आराम से घूम-फिर सकें। उन्हें सही से टहलने की आजादी मिलनी चाहिए। फिलहाल मुर्गियों का कोई भी पिंजड़ा पशु कल्याण कानून के तहत बताए गए आकार को पूरा नहीं करता।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश के मामलों को दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था। यह याचिकाएं फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन (एफआईएपीओ) और पीपल फॉर एनिमल्स जैसे एनजीओ की तरफ से डाली गई थीं।
याचिकाओं में इन गैर सरकारी संगठनों ने दलील दी थी कि मौजूदा पिजड़ों में अंडे देने वाली मुर्गियों को करीब कागज की A4 शीट बराबर स्थान पर ही रहने को मजबूर किया जाता है। इन संगठनों ने यह दलील भी दी कि मुर्गियों को बंद रखने के लिए यह पिंजड़े सामान्य तरह से हर जगह इस्तेमाल किए जाते हैं, जबकि एडब्लूबीआई राज्यों से इन्हें हटाने के लिए कह चुकी है।
याचिकाओं में यह भी दावा किया गया कि मुर्गियों को पालने वाले इनके छोटे मादा बच्चों की चोंच तोड़ देते हैं और उन्हें गंदे और खराब पिंजड़ों में रखा जाता है।
Published on:
06 Nov 2018 11:57 am
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