
devangana natasha and asif
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगे के एक मामले में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय की छात्राओं नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को मंगलवार को जमानत दे दी है। इन लोगों को पिछले साल फरवरी में दंगों से जुड़े एक मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं हैं।
इन शर्तों पर दी गई जमानत
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने निचली अदालत के इन्हें जमानत नहीं देने के आदेश को खारिज करते हुए तीनों को नियमित जमानत दे दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने पिंजड़ा तोड़ कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और आसिफ इकबाल तन्हा को अपने-अपने पासपोर्ट जमा करने, गवाहों को प्रभावित और सबूतों के साथ छेड़खानी ना करने का निर्देश भी दिया है।
हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हम ये कहने के लिए बाध्य हैं कि असहमति की आवाज को दबाने की जल्दबाजी में सरकार ने संविधान की ओर से दिए गए विरोध प्रदर्शन के अधिकार और आतंकवादी गतिविधियों के अंतर को खत्म सा कर दिया है। हाईकोर्ट ने 4 जून को आसिफ इकबाल तन्हा को 13 से 26 जून तक दो सप्ताह के लिए हिरासत में अंतरिम जमानत दी थी, ताकि वह 15 जून से होने वाली परीक्षाओं के मद्देनजर अध्ययन करने और परीक्षा में शामिल होने के लिए दिल्ली के होटल में रह सके।
हिंसा में 53 लोगों की हुई थी मौत
आपको बता दें कि 24 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्व दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसने सांप्रदायिक टकराव का रूप ले लिया था। जिसमें सैकड़ों गाड़ियों और कुछ शिक्षण संस्थानों को भी आग लगा दी गई थी। इस हिंसा में करीब 53 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 200 लोग घायल हो गए थे।
Published on:
15 Jun 2021 01:52 pm
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