
Delhi Border Seal: High Court ने खारिज की याचिका, Delhi Government से लोगों को समझाने को कहा
नई दिल्ली। Delhi Border Seal को लेकर दायर की गई याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi high court ) ने खारिज कर दिया है। गुरुवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ( High Court ) ने कहा कि दिल्ली सरकार ( Delhi Government ) अपने आदेश के बारे में लोगों को ठीक से समझाए। दरअसल, अनलॉक-वन ( Unlock-1.0 ) में देश की राजधानी दिल्ली-NCR के इलाकों के औद्योगिक क्षेत्र ( Industrial Area ) की फैक्टरियां खुलने लगी हैं, लेकिन सीमा सील ( Border Seal ) होने की वजह से फैक्टरियों में काम करने वाले मैनेजर और कर्मचारी काम पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे कारोबारियों की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। इस बीच राजधानी की सीमाओं को सील करने के फैसले पर दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिका में सीमाओं के सील होने के चलते लोगों के सामने आ रहे परेशानियों का हवाला दिया गया था।
केंद्रीय अस्पतालों की सुविधा से वंचित लोग
दिल्ली सरकार ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बॉर्डर 8 जून तक सील करने का आदेश दिया है। यही वजह है कि नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद की ओर से आने वाले लोगों को दिल्ली में प्रवेश करने के लिए भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर दिल्ली कोर्ट में वकील कुशाग्र कुमार ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट से बॉर्डर खोलने की अपील की थी। कुशाग्र कुमार ने अपनी याचिका में कहा था कि बॉर्डर सील होने की वजह से मरीजों को केंद्र सरकार के अस्पतालों की सुविधा लेने में परेशानी आ रही है। आपको बताया कि इससे पहले दिल्ली सरकार ने ऐसे लोगों से ई—पास बनवाकर मेडिकल सेवाएं लेने की अपील की थी।
सरकारी वेबसाइटों पर आदेश अपलोड करे सरकार
कोर्ट ने दिल्ली सरकार के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (GNCTD) को 1 जून के इस आदेश को सरकारी वेबसाइटों पर अपलोड करने का भी निर्देश दिया है। वहीं, दिल्ली सरकार की ओर से वकील संजोय घोष और उर्वी मोहन ने कहा कि वर्तमान याचिका पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन के नेचर की थी और याचिकाकर्ता द्वारा बिना किसी होमवर्क या तथ्य-जांच के दायर की गई थी। उधर, कुशाग्र कुमार द्वारा दिल्ली की सीमाओं को सील करने के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का आदेश एक अतार्किक, तर्कहीन, अनुचित और असंवैधानिक आदेश है। वकील कुमार ने कहा कि यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन है।
संवैधानिक अधिकारों पर प्रहार
याचिका में कहा गया कि देश की राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते, AIIMS आदि केंद्र पोषित अस्पताल दिल्ली में हैं। सीमाओं को सील करके, दिल्ली सरकार दिल्ली में काम करने वालों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में रहने वालों के अधिकारों को छीन रही है। याचिकाकर्ता ने कहा कि "भारत में, हमारे पास दोहरी नागरिकता नहीं है। हर कोई इस देश का नागरिक है और हर किसी को किसी भी स्थान पर निवास करने और किसी भी स्थान पर चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठाने का अधिकार है। ऐसे में दिल्ली में काम करने वालों, एनसीआर में रह रहे या अन्य किसी राज्य के निवासी से ये अधिकार छीनना बिल्कुल असंवैधानिक है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक नीति बनाने को कहा
गौरतलब है कि गुरुवार को ही दिल्ली एनसीआर में अंतर-राज्यीय यात्रा करने से जुड़े मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए एक समान नीति, एक कॉमन पोर्टल और एक अंतर-राज्यीय यात्रा पास होने की बात कही। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की पीठ ने आम आदमी से जुडे मुद्दे को हल करने के लिए केंद्र को एक सप्ताह का समय दिया है। पीठ ने केंद्र से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में आने-जाने वाले यात्रियों के आवागमन की प्रक्रिया के लिए एक समान नीति विकसित करने के लिए उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा की बैठक बुलाने के लिए भी कहा है।
Updated on:
04 Jun 2020 07:50 pm
Published on:
04 Jun 2020 07:36 pm
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