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दिल्ली: हाईकोर्ट ने जेएनयू छात्रसंघ के पदाधिकारियों पर लगाया जुर्माना, आदेशों की अवज्ञा का आरोप

15 फरवरी को आवश्यक उपस्थिति के मुद्दे पर छात्रों ने प्रशासनिक भवन को अवरूद्ध कर दिया था।

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दिल्ली: हाईकोर्ट ने जेएनयू छात्रसंघ के पदाधिकारियों पर लगाया जुर्माना, आदेशों की अवज्ञा का आरोप

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों को आदेशों की अवज्ञा करने का दोषी करार दिया है। नियमों का उल्‍लंघन करने के आरोप में न्यायमूर्ति वीके राव ने प्रत्येक छात्र नेताओं पर दो-दो हजार रूपए का जुर्माना लगाया है। अदालत ने यह आदेश जेएनयू की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है।

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आदेशों की अवमानना पर लगा जुर्माना
साल 2015 और 16 में लगातार धरना-प्रदर्शन की वजह से जेएनयू काफी चर्चित रहा था। इसकी वजह से जेएनयू का प्रशासनिक कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। इस बात की शिकायत मिलने पर दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय ने नौ अगस्त, 2017 को विश्‍वविद्यालय के प्रशासनिक खंड के 100 मीटर के दायरे में प्रदर्शन नहीं करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने प्रशासनिक खंड के 100 मीटर के दायरे में प्रदर्शन किया था। इस बात शिकायत एक याचिका के जरिए जेएनयू ने की हाईकोर्ट से की थी। इस याचिका पर सुनवाई करने के बाद अदालत ने छात्र संघ के पदाधिकारियों पर यह जुर्माना लगाया है।

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दो हफ्ते में जुर्माना भरने का आदेश
अदालत ने जेएनयू की याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिया कि दो हफ्ते में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के पास जुर्माने की रकम जमा कराई जाए। केंद्र सरकार की स्थायी वकील मोनिका अरोड़ा के जरिए दायर याचिका में विश्वविद्यालय ने दावा किया था कि छात्र संघ के पदाधिकारियों ने इस साल 15 फरवरी को आवश्यक उपस्थिति नियमों के खिलाफ प्रदर्शन कर उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया था।

भय का माहौल बनाने का आरोप
विश्वविद्यालय ने आरोप लगाया कि छात्रों ने कैंपस में खौफ का माहौल बना दिया और उपस्थिति अनिवार्य करने के मुद्दे के खिलाफ जन हस्ताक्षर अभियान चलाया। जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने आरोपों से इंकार किया है। छात्रों ने 15 फरवरी को आवश्यक उपस्थिति के मुद्दे पर कुलपति से मुलाकात की मांग करते हुए कथित तौर पर प्रशासनिक भवन को अवरूद्ध कर दिया था। दो अधिकारियों को प्रशासनिक खंड के अंदर ही कैद कर लिया था और उन्‍हें बाहर नहीं निकलने दिया था।


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