
जेएनयू के वीसी ने दिया बड़ा बयान, देश की ऐसी हालात के लिए नेहरू को बताया जिम्मेदार
नर्इ दिल्ली। जेएनयू के वीसी जगदेश कुमार ने कैंपस के अंदर सेंटर फार मीडिया स्टडीज के एक कार्यक्रम में कहा कि हमारा देश जिन हालातों से वर्तमान में गुजर रहा है उसके लिए देश के पहले पीएम नेहरू जिम्मेदार हैं। इस बात का जिक्र उन्होंने जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का हवाला देते हुए किया। उन्होंने कहा नेहरू ने आजादी के समय दूरदर्शिता का परिचय दिया होता तो आज हम सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता जैसी बहसों में न उलझे होते। उन्होंने कहा कि नेहरू ने जान बूझकर बड़े मुद्दों के सामने सांप्रदायिकता का रोना रोया ताकि बड़े मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना संभव हो सके। आपको बता दें कि जेएनयू कैंपस में उच्च शिक्षा, राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा विषय पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान पर आयोजित एक चर्चा के दौरान वीसी ने इस बात का जिक्र किया।
जल्द शुरू होगा राष्ट्रीय सुरक्षा पर अध्ययन
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा आज एक अहम मुद्दा है। चीन और पाकिस्तान की ओर से भारत को हमेशा से खतरा रहा है। डोकलाम विवाद के बाद यह मुद्दा और गंभीर हो गया है। ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय पहले से ज्यादा गंभीर हो गया है। उन्होंने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए बहुत जल्द जेएनयू कैंपस में राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन विषय के लिए विशेष केंद्र खुलेगा।
देशविरोधी ताकतें राष्ट्रीय एकता को दे रहे हैं चुनौती
वीसी जगदेश कुमार ने जून, 1951 को बतौर एक सांसद श्यामा प्रसाद मुखर्जी के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि पंडित नेहरू ने सांप्रदायिकता की रोना सिर्फ देश का ध्यान बड़े मुद्दों से हटाने के लिए किया था। उन्होंने कहा कि उस समय नेहरू के सामने गरीबी, भूख, भ्रष्टाचार, पाकिस्तान का सामना करने जैसी चुनौतियों से जूझने की थी। उन समस्याओं का समाधान उन्होंने नहीं किया। यही कारण है कि देश की आजादी के 70 साल बाद भी हमारा देश एक समावेशी, एकीकृत और मजबूत भारत के लिए संघर्ष कर रहा है। आज भारत के भीतर और बाहर दोनों मोर्चे पर नकली ताकतें राष्ट्रीय एकता को चुनौती देने में लगे हैं। ऐसा कर विभाजनकारी तत्व भारत को एक मजबूत, एकीकृत राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़ने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं। आपको बता दें कि मई में जेएनयू अकादमिक परिषद ने राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव को पारित किया था। इस प्रस्ताव के तहत इस्लामी आतंकवाद पर एक पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया। अकादमिक परिषद के कई सदस्यों ने इस्लामी आतंकवाद पर पाठ्यक्रम शुरू करने के प्रस्ताव का विरोध करते इसे सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला बताया था।
Published on:
28 Jun 2018 03:11 pm
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
