
Woman dead body in Medical college hospital (Photo- Patrika)
अंबिकापुर। सूरजपुर जिले की एक गर्भवती महिला और उसके नवजात बच्चे की मौत (Mother-child died) हो गई। सूरजपुर जिला अस्पताल में डॉक्टर के नहीं रहने पर महिला को मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था। रास्ते में एंबुलेंस में असुरक्षित प्रसव होने के कारण नवजात की मौत हो गई। किसी तरह महिला को लेकर परिजन मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे, लेकिन उसकी भी मौत हो चुकी थी। मृतका के पति ने सूरजपुर जिला अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही आरोप लगाया है। उसका कहना है कि अगर सूरजपुर जिला अस्पताल में डॉक्टर की उपस्थिति रहती और तत्काल इलाज मिला होता तो दोनों की जान बच सकती थी।
सूरजपुर के ग्राम लाछा निवासी कविता सिंह पति आदित्य सिंह 37 वर्ष 9 माह की गर्भवती थी। सोमवार की रात को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे निजी वाहन से लेकर सूरजपुर जिला अस्पताल पहुंचे। यहां ड्यूटी पर कोई डॉक्टर नहीं थे। नर्सों ने कुछ देर प्रसव (Mother-child died) का इंतजार किया, फिर उसे स्लाइन लगाया और तत्काल अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज ले जाने के लिए कहा।
परिजन उसे एम्बुलेंस से लेकर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल आ रहे थे। इसी बीच रास्ते में ही उसका प्रसव हो गया। प्रसव के बाद बच्चे की मौत हो गई। परिजन प्रसूता को लेकर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे, जहां जांच के बाद चिकित्सकों ने उसे भी मृत (Mother-child died) घोषित कर दिया।
मृतिका के पति आदित्य ने बताया कि 8 दिसंबर की रात को प्रसव पीड़ा होने पर कविता लेकर सूरजपुर जिला अस्पताल पहुंचे थे। सूरजपुर अस्पताल में डॉक्टर नहीं थे, जिसके कारण उसे वहां से रेफर कर दिया गया। यदि सूरजपुर में उस दौरान डॉक्टर होते तो दोनों की जान बच (Mother-child died) सकती थी।
स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक अनिल शुक्ला ने कहा कि मामला संज्ञान में आने पर सीएमएचओ व सिविल सर्जन से मैंने जानकारी ली। जिस समय महिला अस्पताल पहुंची थी, उस समय डॉक्टर उपस्थित थे। लेकिन महिला की स्थिति काफी क्रिटिकल (Mother-child died) थी।
शरीर में सूजन भी थे। उसे बिना विलंब किए रेफर कर दिया गया था। इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई है। महिला का इलाज चला हुआ पर्ची व डॉक्टर की ड्यूटी रोस्टर भी मंगाकर चेक किया है।
बता दें कि 2 दिन पूर्व एक और गर्भवती महिला की मौत (Mother-child died) हो चुकी है। बलरामपुर जिले के त्रिकुंडा थाना क्षेत्र निवासी सुनीता सिंह पति मनीष सिंह 35 वर्ष को बलरामपुर जिला अस्पताल से रेफर करने पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां ऑपरेशन से उसका प्रसव कराया गया, लेकिन पेट में लगे टांके से रक्तस्राव होता रहा।
इस स्थिति में जब सोनोग्राफी कराया गया तो गर्भाशय में गड़बड़ी पाई गई। इस स्थिति में डॉक्टर ने पुन: ऑपरेशन कर गर्भाशय को निकाला, इसके बाद यूरिन पास होना बंद हो गया। डॉक्टर ने आनन-फानन में प्रसूता को रायपुर रेफर कर दिया।
परिजन उसे लेकर एम्स पहुंचे, लेकिन वहां बेड खाली नहीं होने के कारण डॉक्टर ने भर्ती लेने से मना कर दिया और कहा कि दोबारा वहीं वापस चले जाओ। ऐसे में उसे लेकर आने के दौरान रास्ते में ही उसकी मौत (Mother-child died) हो गई। इस मामले में भी परिजन ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर के डॉक्टर पर ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
Published on:
09 Dec 2025 06:21 pm
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